क्या व्यवस्था भी यही नहीं कहती? क्योंकि मूसा की व्यवस्था में लिखा है कि दावने में चलते हुए बैल का मुंह न बान्धना: क्या परमेश्वर बैलों ही की चिन्ता करता है? या विशेष करके हमारे लिये कहता है।
जब औरों का तुम पर यह अधिकार है, तो क्या हमारा इस से अधिक न होगा? परन्तु हम यह अधिकार काम में नहीं लाए; परन्तु सब कुछ सहते हैं, कि हमारे द्वारा मसीह के सुसमाचार की कुछ रोक न हो।
परन्तु मैं इन में से कोई भी बात काम में न लाया, और मैं ने तो ये बातें इसलिये नहीं लिखीं, कि मेरे लिये ऐसा किया जाए, क्योंकि इस से तो मेरा मरना ही भला है; कि कोई मेरा घमण्ड व्यर्थ ठहराए।
सो मेरी कौन सी मजदूरी है? यह कि सुसमाचार सुनाने में मैं मसीह का सुसमाचार सेंत मेंत कर दूं; यहां तक कि सुसमाचार में जो मेरा अधिकार है, उस को मैं पूरी रीति से काम में लाऊं।
मैं यहूदियों के लिये यहूदी बना कि यहूदियों को खींच लाऊं, जो लोग व्यवस्था के आधीन हैं उन के लिये मैं व्यवस्था के आधीन न होने पर भी व्यवस्था के आधीन बना, कि उन्हें जो व्यवस्था के आधीन हैं, खींच लाऊं।
व्यवस्थाहीनों के लिये मैं (जो परमेश्वर की व्यवस्था से हीन नहीं, परन्तु मसीह की व्यवस्था के आधीन हूं) व्यवस्थाहीन सा बना, कि व्यवस्थाहीनों को खींच लाऊं।
और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं।