1
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यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; |
2
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प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना, |
3
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दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है। |
4
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क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा॥ |
5
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हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं! |
6
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पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता: |
7
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कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते- फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं, |
8
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परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा। |
9
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क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे॥ |
10
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परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं। |
11
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और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं॥ |
12
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धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे। |
13
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वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे। |
14
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वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, |
15
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जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं॥ |
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