1
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हे जाति जाति के सब लोगों यहोवा की स्तुति करो! हे राज्य राज्य के सब लोगो, उसकी प्रशंसा करो!क्योंकि उसकी करूणा हमारे ऊपर प्रबल हुई है; और यहोवा की सच्चाई सदा की है याह की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! |
2
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इस्राएल कहे, उसकी करूणा सदा की है। |
3
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हारून का घराना कहे, उसकी करूणा सदा की है। |
4
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यहोवा के डरवैये कहें, उसकी करूणा सदा की है। |
5
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मैं ने सकेती में परमेश्वर को पुकारा, परमेश्वर ने मेरी सुन कर, मुझे चौड़े स्थान में पहुंचाया। |
6
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यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है? |
7
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यहोवा मेरी ओर मेरे सहायकों में है; मैं अपने बैरियों पर दृष्टि कर सन्तुष्ट हूंगा। |
8
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यहोवा की शरण लेनी, मनुष्य पर भरोसा रखने से उत्तम है। |
9
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यहोवा की शरण लेनी, प्रधानों पर भी भरोसा रखने से उत्तम है॥ |
10
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सब जातियों ने मुझ को घेर लिया है; परन्तु यहोवा के नाम से मैं निश्चय उन्हें नाश कर डालूंगा! |
11
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उन्होंने मुझ को घेर लिया है, नि:सन्देह घेर लिया है; परन्तु यहोवा के नाम से मैं निश्चय उन्हें नाश कर डालूंगा! |
12
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उन्होंने मुझे मधुमक्खियों की नाईं घेर लिया है, परन्तु कांटों की आग की नाईं वे बुझ गए; यहोवा के नाम से मैं निश्चय उन्हें नाश कर डालूंगा! |
13
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तू ने मुझे बड़ा धक्का दिया तो था, कि मैं गिर पडूं परन्तु यहोवा ने मेरी सहायता की। |
14
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परमेश्वर मेरा बल और भजन का विषय है; वह मेरा उद्धार ठहरा है॥ |
15
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धर्मियों के तम्बुओं में जयजयकार और उद्धार की ध्वनि हो रही है, यहोवा के दाहिने हाथ से पराक्रम का काम होता है, |
16
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यहोवा का दहिना हाथ महान हुआ है, यहोवा के दाहिने हाथ से पराक्रम का काम होता है! |
17
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मैं न मरूंगा वरन जीवित रहूंगा, और परमेश्वर के कामों का वर्णन करता रहूंगा। |
18
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परमेश्वर ने मेरी बड़ी ताड़ना तो की है परन्तु मुझे मृत्यु के वश में नहीं किया॥ |
19
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मेरे लिये धर्म के द्वार खोलो, मैं उन से प्रवेश करके याह का धन्यवाद करूंगा॥ |
20
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यहोवा का द्वार यही है, इस से धर्मी प्रवेश करने पाएंगे॥ |
21
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हे यहोवा मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, क्योंकि तू ने मेरी सुन ली है और मेरा उद्धार ठहर गया है। |
22
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राजमिस्त्रियों ने जिस पत्थर को निकम्मा ठहराया था वही कोने का सिरा हो गया है। |
23
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यह तो यहोवा की ओर से हुआ है, यह हमारी दृष्टि में अद्भुत है। |
24
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आज वह दिन है जो यहोवा ने बनाया है; हम इस में मगन और आनन्दित हों। |
25
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हे यहोवा, बिनती सुन, उद्धार कर! हे यहोवा, बिनती सुन, सफलता दे! |
26
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धन्य है वह जो यहोवा के नाम से आता है! हम ने तुम को यहोवा के घर से आशीर्वाद दिया है। |
27
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यहोवा ईश्वर है, और उसने हम को प्रकाश दिया है। यज्ञपशु को वेदी के सींगों से रस्सियों बान्धो! |
28
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हे यहोवा, तू मेरा ईश्वर है, मैं तेरा धन्यवाद करूंगा; तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझ को सराहूंगा॥ |
29
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यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा बनी रहेगी! |
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