Indian Language Bible Word Collections
Psalms 109:21
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Psalms 109 Verses
1
|
हे परमेश्वर तू जिसकी मैं स्तुति करता हूं, चुप न रह। |
2
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क्योंकि दुष्ट और कपटी मनुष्यों ने मेरे विरुद्ध मुंह खोला है, वे मेरे विषय में झूठ बोलते हैं। |
3
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और उन्होंने बैर के वचनों से मुझे चारों ओर घेर लिया है, और व्यर्थ मुझ से लड़ते हैं। |
4
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मेरे प्रेम के बदले में वे मुझ से विरोध करते हैं, परन्तु मैं तो प्रार्थना में लवलीन रहता हूं। |
5
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उन्होंने भलाई के पलटे में मुझ से बुराई की और मेरे प्रेम के बदले मुझ से बैर किया है॥ |
6
|
तू उसको किसी दुष्ट के अधिकार में रख, और कोई विरोधी उसकी दाहिनी ओर खड़ा रहे। |
7
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जब उसका न्याय किया जाए, तब वह दोषी निकले, और उसकी प्रार्थना पाप गिनी जाए! |
8
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उसके दिन थोड़े हों, और उसके पद को दूसरा ले! |
9
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उसक लड़के बाले अनाथ हो जाएं और उसकी स्त्री विधवा हो जाए! |
10
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और उसके लड़के मारे मारे फिरें, और भीख मांगा करे; उन को उनके उजड़े हुए घर से दूर जा कर टुकड़े मांगना पड़े! |
11
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महाजन फन्दा लगा कर, उसका सर्वस्व ले ले; और परदेशी उसकी कमाई को लूट लें! |
12
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कोई न हो जो उस पर करूणा करता रहे, और उसके अनाथ बालकों पर कोई अनुग्रह न करे! |
13
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उसका वंश नाश हो जाए, दूसरी पीढ़ी में उसका नाम मिट जाए! |
14
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उसके पितरों का अधर्म यहोवा को स्मरण रहे, और उसकी माता का पाप न मिटे! |
15
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वह निरन्तर यहोवा के सम्मुख रहे, कि वह उनका नाम पृथ्वी पर से मिटा डाले! |
16
|
क्योंकि वह दुष्ट, कृपा करना भूल गया वरन दीन और दरिद्र को सताता था और मार डालने की इच्छा से खेदित मन वालों के पीछे पड़ा रहता था॥ |
17
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वह शाप देने में प्रीति रखता था, और शाप उस पर आ पड़ा; वह आशीर्वाद देने से प्रसन्न न होता था, सो आर्शीवाद उससे दूर रहा। |
18
|
वह शाप देना वस्त्र की नाईं पहिनता था, और वह उसके पेट में जल की नाईं और उसकी हडि्डयों में तेल की नाईं समा गया। |
19
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वह उसके लिये ओढ़ने का काम दे, और फेंटे की नाईं उसकी कटि में नित्य कसा रहे॥ |
20
|
यहोवा की ओर से मेरे विरोधियों को, और मेरे विरुद्ध बुरा कहने वालों को यही बदला मिले! |
21
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परन्तु मुझ से हे यहोवा प्रभु, तू अपने नाम के निमित्त बर्ताव कर; तेरी करूणा तो बड़ी है, सो तू मुझे छुटकारा दे! |
22
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क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूं, और मेरा हृदय घायल हुआ है। |
23
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मैं ढलती हुई छाया की नाईं जाता रहा हूं; मैं टिड्डी के समान उड़ा दिया गया हूं। |
24
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उपवास करते करते मेरे घुटने निर्बल हो गए; और मुझ में चर्बी न रहने से मैं सूख गया हूं। |
25
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मेरी तो उन लोगों से नामधराई होती है; जब वे मुझे देखते, तब सिर हिलाते हैं॥ |
26
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हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी सहायता कर! अपनी करूणा के अनुसार मेरा उद्धार कर! |
27
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जिस से वे जाने कि यह तेरा काम है, और हे यहोवा, तू ही ने यह किया है! |
28
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वे कोसते तो रहें, परन्तु तू आशीष दे! वे तो उठते ही लज्जित हों, परन्तु तेरा दास आनन्दित हो! |
29
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मेरे विरोधियों को अनादररूपी वस्त्र पहिनाया जाए, और वे अपनी लज्जा को कम्बल की नाईं ओढ़ें! |
30
|
मैं यहोवा का बहुत धन्यवाद करूंगा, और बहुत लोगों के बीच में उसकी स्तुति करूंगा। |
31
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क्योंकि वह दरिद्र की दाहिनी ओर खड़ा रहेगा, कि उसको घात करने वाले न्यायियों से बचाए॥ |