1
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हे सारी पृथ्वी के लोगों, परमेश्वर के लिये जयजयकार करो; |
2
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उसके नाम की महिमा का भजन गाओ; उसकी स्तुति करते हुए, उसकी महिमा करो। |
3
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परमेश्वर से कहो, कि तेरे काम क्या ही भयानक हैं! तेरी महासामर्थ्य के कारण तेरे शत्रु तेरी चापलूसी करेंगे। |
4
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सारी पृथ्वी के लोग तुझे दण्डवत करेंगे, और तेरा भजन गाएंगे; वे तेरे नाम का भजन गाएंगे॥ |
5
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आओ परमेश्वर के कामों को देखो; वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भय योग्य देख पड़ता है। |
6
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उसने समुद्र को सूखी भूमि कर डाला; वे महानद में से पांव पावं पार उतरे। वहां हम उसके कारण आनन्दित हुए, |
7
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जो पराक्रम से सर्वदा प्रभुता करता है, और अपनी आंखों से जाति जाति को ताकता है। हठीले अपने सिर न उठाएं॥ |
8
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हे देश देश के लोगो, हमारे परमेश्वर को धन्य कहो, और उसकी स्तुति में राग उठाओ, |
9
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जो हम को जीवित रखता है; और हमारे पांव को टलने नहीं देता। |
10
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क्योंकि हे परमेश्वर तू ने हम को जांचा; तू ने हमें चान्दी की नाईं ताया था। |
11
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तू ने हम को जाल में फंसाया; और हमारी कटि पर भारी बोझ बान्धा था; |
12
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तू ने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, हम आग और जल से होकर गए; परन्तु तू ने हम को उबार के सुख से भर दिया है॥ |
13
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मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊंगा मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूंगा, |
14
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जो मैं ने मुंह खोलकर मानीं, और संकट के समय कही थीं। |
15
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मैं तुझे मोटे पशुओं के होमबलि, मेंढ़ों की चर्बी के धूप समेत चढ़ऊंगा; मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊंगा॥ |
16
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हे परमेश्वर के सब डरवैयों आकर सुनो, मैं बताऊंगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है। |
17
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मैं ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ। |
18
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यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता। |
19
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परन्तु परमेश्वर ने तो सुना है; उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है॥ |
20
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धन्य है परमेश्वर, जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझ से अपनी करूणा दूर कर दी है! |
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