अच्छे लोग चले गये किन्तु इस पर तो ध्यान किसी ने नहीं दिया। लोग समझते नहीं हैं कि क्या कुछ घट रहा है। भले लोग एकत्र किये गये। लोग समझते नहीं कि विपत्तियाँ आ रही हैं। उन्हें पता तक नहीं हैं कि भले लोग रक्षा के लिये एकत्र किये गये।
नदी की गोल बट्टियों को तुम पूजना चाहते हो। तुम उन पर दाखमधु उनकी पूजा के लिये चढ़ाते हो। तुम उन पर बलियों को चढ़ाया करते हो किन्तु तुम उनके बदले बस पत्थर ही पाते हो। क्या तुम यह सोचते हो कि मैं इससे प्रसन्न होता हूँ नहीं! यह मुझको प्रसन्न नहीं करता है। तुम हर किसी पहाड़ी और हर ऊँचे पर्वत पर अपना बिछौना बनाते हो।
और फिर तुम उन बिछौने के बीच जाते हो और मेरे विरूद्ध तुम पाप करते हो। उन देवों से तुम प्रेम करते हो। वे देवता तुमको भाते हैं। तुम मेरे साथ में थे किन्तु उनके साथ होने के लिये तुमने मुझको त्याग दिया। उन सभी बातों पर तुमने परदा डाल दिया जो तुम्हें मेरी याद दिलाती हैं। तुमने उनको द्वारों के पीछे और द्वार की चौखटों के पीछे छिपाया और तुम उन झूठे देवताओं के पास उन के संग वाचा करने को जाते हो।
तुम अपना तेल और फुलेल लगाते हो ताकि तुम अपने झूठे देवता मोलक के सामने अच्छे दिखो। तुमने अपने दूत दूर—दूर देशों को भेजे हैं और इससे ही तुम नरक में, मृत्यु के देश में गिरोगे।
तूने मुझको कभी नहीं याद किया यहाँ तक कि तूने मुझ पर ध्यान तक नहीं दिया! सो तू किसके विषय में चिन्तित रहा करता था तू किससे भयभीत रहता था तू झूठ क्यों कहता था देख मैं बहुत दिनों से चुप रहता आया हूँ और फिर भी तूने मेरा आदर नहीं किया।
जब तुझको सहारा चाहिये तो तू उन झूठे देवों को जिन्हें तूने अपने चारों ओर जुटाया है, क्यों नहीं पुकारता है। किन्तु मैं तुझको बताता हूँ कि उन सब को आँधी उड़ा देगी। हवा का एक झोंका उन्हें तुम से छीन ले जायेगा। किन्तु वह व्यक्ति जो मेरे सहारे है, धरती को पायेगा। ऐसा ही व्यक्ति मेरे पवित्र पर्वत को पायेगा।”
वह जो ऊँचा है और जिसको ऊपर उठाया गया है, वह जो अमर है, वह जिसका नाम पवित्र है, वह यह कहता है, “एक ऊँचे और पवित्र स्थान पर रहा करता हूँ, किन्तु मैं उन लोगों के बीच भी रहता हूँ जो दु:खी और विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं। ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो हृदय से दु:खी हैं।
मैं सदा—सदा ही मुकद्दमा लड़ता रहूँगा। सदा—सदा ही मैं तो क्रोधित नहीं रहूँगा। यदि मैं कुपित ही रहूँ तो मनुष्य की आत्मा यानी वह जीवन जिसे मैंने उनको दिया है, मेरे सामने ही मर जायेगा।
उन्होंने लालच से हिंसा भरे स्वार्थ साधे थे और उसने मुझको क्रोधित कर दिया था। मैंने इस्राएल को दण्ड दिया। मैंने उसे निकाल दिया क्योंकि मैं उस पर क्रोधित था और इस्राएल ने मुझको त्याग दिया। जहाँ कहीं इस्राएल चाहता था, चला गया।
मैंने इस्राएल की राहें देख ली थी। किन्तु मैं उसे क्षमा (चंगा) करूँगा। मैं उसे चैन दूँगा और ऐसे वचन बोलूँगा जिस से उसको आराम मिले और मैं उसको राह दिखाऊँगा। फिर उसे और उसके लोगों को दु:ख नहीं छू पायेगा।
उन लोगों को मैं एक नया शब्द शान्ति सिखाऊँगा। मैं उन सभी लोगों को शान्ति दूँगा जो मेरे पास हैं और उन लोगों को जो मुझ से दूर हैं। मैं उन सभी लोगों को चंगा (क्षमा) करूँगा!” ने ये सभी बातें बतायी थी।
किन्तु दुष्ट लोग क्रोधित सागर के जैसे होते हैं। वे चुप या शांत नहीं रह सकते। वे क्रोधित रहते हैं और समुद्र की तरह कीचड़ उछालते रहते हैं। मेरे परमेश्वर का कहना है: