1
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और फरीसियों और सदूकियों ने पास आकर उसे परखने के लिये उस से कहा, कि हमें आकाश का कोई चिन्ह दिखा। |
2
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उस ने उन को उत्तर दिया, कि सांझ को तुम कहते हो कि खुला रहेगा क्योंकि आकाश लाल है। |
3
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और भोर को कहते हो, कि आज आन्धी आएगी क्योंकि आकाश लाल और धुमला है; तुम आकाश का लक्षण देखकर भेद बता सकते हो पर समयों के चिन्हों का भेद नहीं बता सकते? |
4
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इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढ़ते हैं पर यूनुस के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा, और वह उन्हें छोड़कर चला गया॥ |
5
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और चेले पार जाते समय रोटी लेना भूल गए थे। |
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यीशु ने उन से कहा, देखो; फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकस रहना। |
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वे आपस में विचार करने लगे, कि हम तो रोटी नहीं लाए। |
8
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यह जानकर, यीशु ने उन से कहा, हे अल्पविश्वासियों, तुम आपस में क्यों विचार करते हो कि हमारे पास रोटी नहीं? |
9
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क्या तुम अब तक नहीं समझे? और उन पांच हजार की पांच रोटी स्मरण नहीं करते, और न यह कि कितनी टोकिरयां उठाईं थीं? |
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और न उन चार हजार की सात रोटी; और न यह कि कितने टोकरे उठाए गए थे? |
11
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तुम क्यों नहीं समझते कि मैं ने तुम से रोटियों के विषय में नहीं कहा फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकस रहना। |
12
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तब उन को समझ में आया, कि उस ने रोटी के खमीर से नहीं, पर फरीसियों और सदूकियों की शिक्षा से चौकस रहने को कहा था। |
13
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यीशु कैसरिया फिलिप्पी के देश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, कि लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं? |
14
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उन्होंने कहा, कितने तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते हैं और कितने एलिय्याह, और कितने यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं। |
15
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उस ने उन से कहा; परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो? |
16
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शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है। |
17
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यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि हे शमौन योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है। |
18
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और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस है; और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। |
19
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मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बान्धेगा, वह स्वर्ग में बन्धेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा। |
20
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तब उस ने चेलों को चिताया, कि किसी से न कहना! कि मैं मसीह हूं। |
21
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उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं। |
22
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इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर झिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा। |
23
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उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है। |
24
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तब यीशु ने अपने चेलों से कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले। |
25
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क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। |
26
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यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? |
27
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मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा। |
28
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मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे। |
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