Indian Language Bible Word Collections
Psalms 71:12
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Psalms 71 Verses
1
हे यहोवा, मुझको तेरा भरोसा है, इसलिए मैं कभी निराश नहीं होऊँगा।
2
अपनी नेकी से तू मुझको बचायेगा। तू मुझको छुड़ा लेगा। मेरी सुन। मेरा उद्धार कर।
3
तू मेरा गढ़ बन। सुरक्षा के लिए ऐसा गढ़ जिसमें मैं दौड़ जाऊँ। मेरी सुरक्षा के लिए तू आदेश दे, क्योंकि तू ही तो मेरी चट्टान है; मेरा शरणस्थल है।
4
मेरे परमेश्वर, तू मुझको दुष्ट जनों से बचा ले। तू मुझको क्रूरों कुटिल जनों से छुड़ा ले।
5
मेरे स्वामी, तू मेरी आशा है। मैं अपने बचपन से ही तेरे भरोसे हूँ।
6
जब मैं अपनी माता के गर्भ में था, तभी से तेरे भरोसे था। जिस दिन से मैंने जन्म धारण किया, मैं तेरे भरोसे हूँ। मैं तेरी प्रर्थना सदा करता हूँ।
7
मैं दूसरे लोगों के लिए एक उदाहरण रहा हूँ। क्योंकि तू मेरा शक्ति स्रोत रहा है।
8
उन अद्भुत कर्मो को सदा गाता रहा हूँ, जिनको तू करता है।
9
केवल इस कारण की मैं बूढ़ा हो गया हूँ मुझे निकाल कर मत फेंक। मैं कमजोर हो गया हूँ मुझे मत छोड़।
10
सचमुच, मेरे शत्रुओं ने मेरे विरूद्ध कुचक्र रच डाले हैं। सचमुच वे सब इकटठे हो गये हैं, और उनकी योजना मुझको मार डालने की है।
11
मेरे शत्रु कहते हैं, “परमेश्वर, ने उसको त्याग दिया है। जा, उसको पकड़ ला! कोई भी व्यक्ति उसे सहायता न देगा।”
12
हे परमेश्वर, तू मुझको मत बिसरा! हे परमेश्वर, जल्दी कर! मुझको सहारा दे!
13
मेरे शत्रुओं को तू पूरी तरह से पराजित कर दे! तू उनका नाश कर दे! मुझे कष्ट देने का वे यत्न कर रहे हैं। वे लज्जा अनुभव करें ओर अपमान भोगें।
14
फिर मैं तो तेरे ही भरोसे, सदा रहूँगा। और तेरे गुण मैं अधिक और अधिक गाऊँगा।
15
सभी लोगों से, मैं तेरा बखान करूंगा कि तू कितना उत्तम है। उस समय की बातें मैं उनको बताऊँगा, जब तूने ऐसे मुझको एक नहीं अनगिनित अवसर पर बचाया था।
16
हे यहोवा, मेरे स्वामी। मैं तेरी महानता का वर्णन करूँगा। बस केवल मैं तेरी और तेरी ही अच्छाई की चर्चा करूँगा।
17
हे परमेश्वर, तूने मुझको बचपन से ही शिक्षा दी। मैं आज तक बखानता रहा हूँ, उन अद्भुत कर्मो को जिनको तू करता है!
18
मैं अब बूढा हो गया हूँ और मेरे केश श्वेत है। किन्तु मैं जानता हूँ कि तू मुझको नहीं तजेगा। हर नयी पीढ़ी से, मैं तेरी शक्ति का और तेरी महानता का वर्णन करूँगा।
19
हे परमेश्वर, तेरी धार्मिकता आकाशों से ऊँची है। हे परमेश्वर, तेरे समान अन्य कोई नहीं। तूने अदभुत आश्चर्यपूर्ण काम किये हैं।
20
तूने मुझे बुरे समय और कष्ट देखने दिये। किन्तु तूने ही मुझे उन सब से बचा लिया और जीवित रखा है। इसका कोई अर्थ नहीं, मैं कितना ही गहरा डूबा तूने मुझको मेरे संकटों से उबार लिया।
21
तू ऐसे काम करने की मुझको सहायता दे जो पहले से भी बड़े हो। मुझको सुख चैन देता रह।
22
वीणा के संग, मैं तेरे गुण गाऊँगा। हे मेरे परमेश्वर, मैं यह गाऊँगा कि तुझ पर भरोसा रखा जा सकता है। मैं उसके लिए गीत अपनी सितार पर बजाया करूँगा जो इस्रएल का पवित्र यहोवा है।
23
मेरे प्राणों की तूने रक्षा की है। मेरा मन मगन होगा और अपने होंठों से, मैं प्रशंसा का गीत गाऊँगा।
24
मेरी जीभ हर घड़ी तेरी धार्मिकता के गीत गाया करेगी। ऐसे वे लोग जो मुझको मारना चाहते हैं, वे पराजित हो जायेंगे और अपमानित होंगे।