तो उसने अपने सेवकों से कहा, “यह बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना है जो मरे हुओं में से जी उठा है। और इसीलिये ये शक्तियाँ उसमें काम कर रही हैं। जिनसे यह इन चमत्कारों को करता है।”
यह वही हेरोदेस था जिसने यूहन्ना को बंदी बना, जंजीरों में बाँध, जेल में डाल दिया था। यह उसने हिरोदियास के कहने पर किया था, जो पहले उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी थी।
(मरकुस 6:30-44; लूका 9:10-17; यूहन्ना 6:1-14) जब यीशु ने इसकी चर्चा सुनी तो वह वहाँ से नाव में किसी एकान्त स्थान पर अकेला चला गया। किन्तु जब भीड़ को इसका पता चला तो वे अपने नगरों से पैदल ही उसके पीछे हो लिये।
जब शाम हुई तो उसके शिष्यों ने उसके पास आकर कहा, “यह सुनसान जगह है और बहुत देर भी हो चुकी है, सो भीड़ को विदा कर, ताकि वे गाँव में जाकर अपने लिये खाना मोल ले लें।”
उसने भीड़ के लोगों से कहा कि वे घास पर बैठ जायें। फिर उसने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लेकर स्वर्ग की ओर देखा और भोजन के लिये परमेश्वर का धन्यवाद किया। फिर रोटी के टुकड़े तोड़े और उन्हें अपने शिष्यों को दे दिया। शिष्यों ने वे टुकड़े लोगों में बाँट दिये।
(मरकुस 6:45-52; यूहन्ना 6:16-21) इसके तुरंत बाद यीशु ने अपने शिष्यों को नाव पर चढ़ाया और जब तक वह भीड़ को विदा करे, उनसे गलील की झील के पार अपने से पहले ही जाने को कहा।