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Deuteronomy 23 Verses

1 “ये लोग इस्राएल के लोगों के साथ यहोवा की उपासना करने के लिये नहीं आ सकतेः वह व्यक्ति जिसने अपने को बधिया कर लिया है, वह व्यक्ति जिसने अपना यौन अंग कटवा लिया है
2 या वह व्यक्ति जो अविवाहित माता—पिता की सन्तान हो। इस व्यक्ति के परिवार का कोई व्यक्ति दसवीं पीढ़ी तक भी यहोवा के लोगों में यहोवा की उपासना करने के लिये नहीं गिना जा सकता।
3 “कोई अम्मोनी या मोआबी यहोवा के लोगों से सम्बन्धित नहीं हो सकता और दस पीढ़ीयों तक उनका कोई वंशज भी यहोवा के लोगों का भाग यहोवा की उपासना करने के लिए नहीं बन सकता।
4 क्यों? क्योंकि अम्मोनी और मोआबी लोगों ने मिस्र से बाहर आने की यात्रा के समय तुम लोगों को रोटी और पानी देने से इन्कार किया था। वे यहोवा के लोगों के भाग इसलिए भी नहीं हो सकते क्योंकि उन्होंने बिलाम को तुम्हें अभिशाप देने के लिए नियुक्त किया था। (बिलाम अपम्नहरैम में पतोर नगर के बोर का पुत्र था।)
5 किन्तु यहोवा परमेश्वर ने बिलाम की एक न सुनी। यहोवा ने अभिशाप को तुम्हारे लिये वरदान में बदल दिया। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है।
6 तुम्हें अम्मोनी और मोआबी लोगों के साथ शान्ति रखने का प्रयत्न कभी नहीं करना चाहिए। जब तक तुम लोग रहो, उनसे मित्रता न रखो।
7 “तुम्हें एदोमी से घृणा नहीं करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि वह तुम्हारा सम्बन्धी हैं। तुम्हें किसी मिस्री से घृणा नहीं करनी चाहिए। क्यों? क्योकि उनके देश में तुम अजनबी थे।
8 एदोमी और मिस्री लोगों से उत्पन्न तीसरी पीढ़ी के बच्चे यहोवा के लोगों के भाग बन सकते हैं।
9 “जब तुम्हारी सेना शत्रु के विरुद्ध जाए, तब तुम उन सभी चीज़ों से दूर रहो जो तुम्हें अपवित्र बनाती हैं।
10 यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो इस कारण अपवित्र है कि उसे रात में स्वप्नदोष हो गया हो तो उसे डेरे के बाहर चले जाना चाहिए। उसे डेरे से दूर रहना चाहिए
11 किन्तु जब शाम हो तब उस व्यक्ति को पानी से नहाना चाहिए और जब सूरज डूबे तो उसे डेरे में जाना चाहिए।
12 “तुम्हें डेरे के बाहर शौच के लिए जगह बनानी चाहिए
13 और तुम्हें अपने हथियार के साथ खोदने के लिए एक खन्ती रखनी चाहिए। इसलिए जब तुम मलत्याग करो तब तुम एक गका खोदो और उसे ढक दो।
14 क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे डेरे में शत्रुओं को हराने में तुम्हारी सहायता करने के लिए तुम्हारे साथ है। इसलिए डेरा पवित्र रहना चाहिए। तब यहोवा तुम में कुछ भी घृणित नहीं देखेगा और तुम से आँखें नहीं फेरेगा।
15 “यदि कोई दास अपने मालिक के यहाँ से भागकर तुम्हारे पास आता है तो तुम्हें उस दास को उसके मलिक को नहीं लौटाना चाहिए।
16 यह दास तुम्हारे साथ जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह जिस भी नगर को चुने उसमें रह सकता है। तुम्हें उसे परेशान नहीं करना चाहिए।
17 “कोई इस्राएली स्त्री या पुरुष को कभी देवदासी या देवदास नहीं बनना चाहिए।
18 देवादस या देवदासी का कमाया हुआ धन यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के मन्दिर में नहीं लाया जाना चाहिए। कोई व्यक्ति दिये गए वचन के कारण यहोवा को दी जाने वाली चीज के लिए इस धन का उपयोग नहीं कर सकता। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सभी मन्दिरों के देवदास—देवदासियों से घृणा करता है।
19 “यदि तुम किसी इस्राएली को कुछ उधार दो ते तुम उस पर ब्याज न लो। तुम सिक्कों, भोजन या कोई ऐसी चीज जिस पर ब्याज न लिया जा सेक व्याज न लो।
20 तुम विदेशी से ब्याज ले सकते हो। किन्तु तुम्हें दूसरे इस्राएली से ब्याज नहीं लेना चाहिए। यदि तुम इन नियमों का पालन करोगे तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उस देश में, जहाँ तुम रहने जा रहे, हो जो कुछ तुम करोगे उसमें आशीष देगा।
21 “जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर को वचन दो, तो जो तुम देने को कहो उन सबको देने में ढीले न पड़ो। यदि तुम वचन दी गई चिज़ों को नहीं दोगे तो पाप करोगे।
22 यदि तुम वचन नहीं देते हो तो तुम पाप नहीं कर रहे हो।
23 किन्तु तुम्हें वह चीज़ें करनी चाहिए जिसे करने के लिए तुमने कहा है कि तुम करोगे। जब तुम स्वतन्त्रता से यहोवा अपने परमेश्वर को वचन दो तो, तुम्हें वचन दी गई बात पूरी करनी चाहिए!
24 “यदि तुम दूसरे व्यक्ति के अंगूर के बाग से होकर जाते हो, तो तुम जितने चाहो उतने अंगूर खा सकते हो। किन्तु तुम कोई अंगूर अपनी टोकरी में नहीं रख सकते।
25 जब तुम दूसरे की पकी अन्न की फसल के खेत से होकर जा रहे हो तो तुम अपने हाथ से जितना उखाड़ा, खा सकते हो। किन्तु तुम हँसिये का उयोग दूसरे के अन्न को काटने और लेने के लिए नहीं कर सकते।
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