यह वह प्रदेश है जिसे यूसुफ के परिवार ने पाया। यह प्रदेश यरदन नदी के निकट यरीहो से आरम्भ हुआ और यरीहो के पूर्वी जलाशयों तक पहुँचा। (यह ठीक यरीहो के पूर्व था) सीमा यरीहो से बेतेल के मरू पहाड़ी प्रदेश तक चली गई थी।
तब सीमा यानोह से अतारोत और नारा तक चली गई। यह सीमा लगातार चलती हुई यरीहो छूती है और यरदन नदी पर समाप्त हो जाती है। यह सीमा तप्पूह से काना खाड़ी के पश्चिम की ओर जाती है और सागर पर समाप्त हो जाती है।
यह सीमा तप्पूह से काना नदी के पश्चिम की ओर सागर पर समाप्त होती है। यह वह प्रदेश है जो एप्रैम के लोगों को दिया गया। उस परिवार समूह के हर एक परिवार ने इस भूमि का भाग पाया।
किन्तु एप्रैमी लोग कनानी लोगों को गेजेर नगर छोड़ने को विवश करने में समर्थ न हो सके। इसलिए कनानी लोग अब तक एप्रैमी लोगों के बीच रहते हैं। [*कनानी लोग … रहते हैं अर्थात् जब यहोशू सर्ग लिखा गया, कनानी लोग गेजेर में तब तक रहते थे।] किन्तु कनानी लोग एप्रैमी लोगों के दास हो गए थे।