English Bible Languages

Indian Language Bible Word Collections

Bible Versions

English

Tamil

Hebrew

Greek

Malayalam

Hindi

Telugu

Kannada

Gujarati

Punjabi

Urdu

Bengali

Oriya

Marathi

Assamese

Books

Ezekiel Chapters

Ezekiel 12 Verses

1 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
2 “मनुष्य के पुत्र, तुम विद्रोही लोगों के साथ रहते हो। वे सदैव मेरे विरुद्ध गये हैं। देखने के लिये उनकी आँखें हैं जो कुछ मैंने उनके लिये किया है। किन्तु वे उन चीजों को नहीं देखते। सुनने के लिये उनके कान हैं, उन चीजों को जो मैंने उन्हें करने को कहा है। किन्तु वे मेरे आदेश नहीं सुनते। क्यों क्योंकि वे विद्रोही लोग हैं।
3 इसलिए, मनुष्य के पुत्र अपना सामान बांध लो। ऐसा व्यवहार करो मानों तुम किसी दूर देश को जा रहे हो। यह इस प्रकार करो कि लोग तुम्हें देखते रहें। संभव है, कि वे लोग तुम पर ध्यान दें, किन्तु वे लोग बड़े विद्रोही लोग हैं।
4 “दिन के समय तुम अपना सामान इस प्रकार बाहर ले जाओ कि लोग तुम्हें देखते रहें। तब शाम को ऐसा दिखावा करो, कि तुम दूर देश में एक बन्दी की तरह जा रहे हो।
5 लोगों की आँखों के सामने दीवार में एक छेद बनाओ और उस दीवार के छेद से बाहर जाओ।
6 रात को अपना सामान कन्धे पर रखो और उस स्थान को छोड़ दो। अपने मुँह को ढक लो जिससे तुम यह न देख सको कि तुम कहाँ जा रहे हो। इन कामों को तुम्हें इस प्रकार करना चाहिये, कि लोग तुम्हें देख सकें। क्यों क्योंकि मैं तुम्हें इस्राएल के परिवार के लिये एक उदाहरण के रूप में उपयोग कर रहा हूँ।”
7 इसलिये मैंने (यहेजकेल ने) आदेश के अनुसार किया। दिन के समय मैंने अपना सामान उठाया और ऐसा दिखावा किया मानों मैं किसी दूर देश को जा रहा हूँ। उस शाम मैंने अपने हाथों का उपयोग किया और दीवार में एक छेद बनाया। रात को मैंने अपना सामान कन्धे पर रखा और चल पड़ा। मैंने यह सब इस प्रकार किया कि सभी लोग मुझे देख सकें।
8 अगली सुबह मुझे यहोवा का वचन मिला। उसने कहा,
9 “मनुष्य के पुत्र, क्या इस्राएल के उन विद्रोही लोगों ने तुमसे पूछा कि तुम क्या कर रहे हो
10 उनसे कहो कि उनके स्वामी यहोवा ने ये बातें बताई है। यह दुःखद वचन यरूशलेम के प्रमुखों और वहाँ रहने वाले इस्राएल के सभी लोगों के बारे में है।
11 उनसे कहो, ‘मैं (यहेजकेल) तुम सभी लोगों के लिये एक उदाहरण हूँ। जो कुछ मैंने किया है वह तुम लोगों के लिये सत्य होगा।’ तुम सचमुच बन्दी के रूप में दूर देश में जाने के लिये विवश किये जाओगे।
12 तुम्हारा प्रमुख दीवार में छेद करेगा और रात को गुप्त रूप से निकल भागेगा। वह अपने मुख को ढक लेगा जिससे लोग उसे पहचानेंगे नहीं। उसकी आँखे, यह देखने के लायक नहीं होंगी कि वह कहाँ जा रहा है।
13 वह भाग निकलने का प्रयत्न करेगा। किन्तु मैं (परमेश्वर) उसे पकड़ लूँगा! वह मेरे जाल में फँस जाएगा और मैं उसे बाबुल लाऊँगा जो कसदियों के लोगों का देश है। किन्तु वह देख नहीं पाएगा कि वह कहाँ जा रहा है। शत्रु उसकी आँखे निकाल लेगा और उसे अन्धा कर देगा।
14 मैं राजा के लोगों को विवश करुँगा कि वे इस्राएल के चारों ओर विदेशों में रहें। मैं उसकी सेना को तितर—बितर कर दूँगा और शत्रु के सैनिक उनका पीछा करेंगे।
15 तब वे लोग समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ। वे समझेंगे कि मैंने उन्हें राष्ट्रों में बिखेरा। वे समझ जाएंगे कि मैंने उन्हें अन्य देशों में जाने के लिये विवश किया।
16 “किन्तु मैं कुछ लोगों को जीवित रखूँगा। वे रोग, भूख और युद्ध से नहीं मरेंगे। मैं उन लोगों को इसलिए जीवित रहने दूँगा, कि वे अन्य लोगों से उन भयंकर कामों के बारे में कह सकेंगे, जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किये। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
17 तब यहोवा का वचन मेरे पास आया। उसने कहा,
18 “मनुष्य के पुत्र! तुम्हें ऐसा करना चाहिये मानों तुम बहुत भयभीत हो। जब तुम खाना खाओ तब तुम्हें काँपना चाहिए। तुम्हें पानी पीते समय चिन्तित और भयभीत होने का दिखावा करना चाहिये।
19 तुम्हें यह साधारण जनता से कहना चाहिये। तुम्हें कहना चाहिये, ‘हमारा स्वामी यहोवा यरूशलेम के निवासियों और इस्राएल के अन्य भागों के लोगों से यह कहता है। लोगों, तुम भोजन करते समय बहुत परेशान होगे। तुम पानी पीते समय भयभीत होगे। क्यों क्योंकि तुम्हारे देश में सभी कुछ नष्ट हो जाएगा। वहाँ रहने वाले सभी लोगों के प्रति शत्रु बहुत क्रूर होगा।
20 तुम्हारे नगरों में इस समय बहुत लोग रहते हैं, किन्तु वे नगर नष्ट हो जाएंगे। तुम्हारा पूरा देश नष्ट हो जाएगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।’ ”
21 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
22 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के प्रदेश के बारे में लोग यह कहावत क्यों सुनाते हैं: ‘विपत्ति शीघ्र न आएगी, दर्शन कभी न होंगे?’
23 “उन लोगों से कहो कि तुम्हारा स्वामी यहोवा तुम्हारी इस कहावत का पढ़ना बन्द कर देगा। वे इस्राएल के बारे में वे बातें कभी भी नहीं कहेंगे। अब वे यह कहावत सुनाएंगे: ‘विपत्ति शीघ्र आएगी। दर्शन घटित होंगे।’
24 “यह सत्य है कि इस्राएल मे कभी भी झूठे दर्शन घटित नहीं होंगे। अब ऐसे जादूगर भविष्य में नहीं होंगे जो ऐसी भविष्यवाणी करेंगे जो सच्ची नहीं होगी।
25 क्यों क्योंकि मैं यहोवा हूँ। मैं वही कहूँगा, जो मैं कहना चाहूँगा और वह चीज घटित होगी और मैं घटना—काल को लम्बा खींचने नहीं दूँगा। वे विपत्तियाँ शीघ्र आ रही हैं। तुम्हारे अपने जीवनकाल में ही। विद्रोही लोगों! जब मैं कुछ कहता हूँ तो मैं उसे घटित करता हूँ।” मेरे स्वामी यहोवा ने उन बातों को कहा।
26 तब यहोवा का वचन मुझे मिल। उसने कहा,
27 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोग समझते हैं कि जो दर्शन मैं तुझे देता हूँ, वे बहुत दूर के भविष्य में घटित होंगे। वे समझते हैं, कि जिन विपत्तियों के बारे में तुम बातें करते हो, वे आज से वहुत वर्षों बाद घटित होंगी।
28 अत: तुम्हें उनसे यह कहना चाहिये, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं और अधिक विलम्ब नहीं कर सकता। यदि मैं कहता हूँ, कि कुछ घटित होगा तो वह घटित होगा।’ ” मेरे स्वामी यहोवा ने उन बातों को कहा।
×

Alert

×