यहोशेबा राजा योराम की पुत्री और अहज्याह की बहन थी। योआश राजा के पुत्रों में से एक था। यहोशेबा ने योआश को तब छिपा लिया जब अन्य बच्चे मारे जा रहे थे। यहोशेबा ने योआश को छिपा दिया। उसने योआश और उसकी धायी को अपने सोने के कमरे में छिपा दिया। इस प्रकार यहोशेबा और धायी ने योआश को अतल्याह से छिपा लिया। इस प्रकार योआश मारा नहीं गया।
सातवें वर्ष प्रमुख याजक यहोयादा ने करीतों के सेनापतियों और रक्षकों [*रक्षकों शाब्दिक, “दौड़ लगाने वाले” या “सन्देशवाहक।”] को बुलाया और वे आए। यहोयादा ने यहोवा के मन्दिर में उन्हें एक साथ बिठाया। तब यहोयादा ने उनके साथ एक वाचा की। मन्दिर में यहोयादा ने उन्हें प्रतिज्ञा करने को विवश किया। तब उसने राजा के पुत्र (योआश) को उन्हें दिखाया।
तब यहोयादा ने उनको आदेश दिया। उसने कहा, “तुम्हें यह करना होगा। प्रत्येक सब्त—दिवस के आरम्भ होने पर तुम लोगों के एक तिहाई को यहाँ आना चाहिए। तुम लोगों को राजा की रक्षा उसके घर में करनी होगी।
दूसरे एक तिहाई को सूर—द्वार पर रहना होगा और बचे एक तिहाई को रक्षकों के पीछे, द्वार पर रहना होगा। इस प्रकार तुम लोग योआश की रक्षा में दीवार की तरह रहोगे।
जब कभी वह कहीं जाये तुम्हें राजा योआश के साथ ही रहना चाहिये। पूरे दल को उसे घेरे रखना चाहिये। प्रत्येक रक्षक को अपने अस्त्र—शस्त्र अपने हाथ में रखना चाहिये और तुम लोगों को उस किसी भी व्यक्ति को मार डालना चाहिये जो तुम्हारे अत्याधिक करीब पहुंचे।”
सेनापतियों ने याजक यहोयादा के दिये गए सभी आदेशों का पालन किया। हर एक सेनापति ने अपने सैनिकों को लिया। एक दल को राजा की रक्षा शनिवार को करनी थी और अन्य दलों को सप्ताह के अन्य दिनों में राजा की रक्षा करनी थी। वे सभी पुरुष याजक यहोयादा के पास गए
ये रक्षक अपने हाथों में अपने शस्त्र लिये मन्दिर के दायें कोने से लेकर बायें कोने तक खड़े थे। वे वेदी और मन्दिर के चारों ओर और जब राजा मन्दिर में जाता तो उसके चारों ओर खड़े होते थे।
ये व्यक्ति योआश को बाहर ले आए। उन्होंने योआश के सिर पर मुकुट पहनाया और परमेश्वर तथा राजा के बीच की वाचा को उसे दिया। [†वाचा … दिया संभवत: परमेश्वर की सेवा करने के लिए यह राजा की प्रतिज्ञा थीं। देखें पद 17 और 1 शमू. 10:25] तब उन्होंने उसका अभिषेक किया और उसे नया राजा बनाया। उन्होंने तालियाँ बजाईं और उद्घोष किया, “राजा दीर्घायु हों!”
अतल्याह ने उस स्तम्भ के सहारे राजा को देखा जहाँ राजा प्रायः खड़े होते थे। उसने प्रमुखों और लोगों को राजा के लिये तुरही बजाते हुये भी देखा। उसने देखा कि सभी लोग बहुत प्रसन्न थे। उसने तुरही को बजते हुए सुना और उसने अपने वस्त्र यह प्रकट करने के लिये फाड़ डाले कि उसे बड़ी घबराहट है। तब अतल्याह चिल्ला उठी, “षडयन्त्र! षडयन्त्र!”
याजक यहोयादा ने सैनिकों की व्यवस्था के अधिकारी सेनापतियों को आदेश दिया। यहोयादा ने उनसे कहा, “अतल्याह को मन्दिर के क्षेत्र से बाहर ले जाओ। उसके किसी भी साथ देने वाले को मार डालो। किन्तु उन्हें यहोवा के मन्दिर में मत मारो।”
तब यहोयादा ने यहोवा, राजा और लोगों के बीच एक सन्धि कराई। इस वाचा से यह पता चलता था कि राजा और लोग यहोवा के अपने ही हैं। यहोयादा ने राजा और लोगों के बीच भी एक वाचा कराई। इस वाचा से यह पता चलता था कि राजा लोगों कि लिये कार्य करेगा और इससे यह पता चलता था कि लोग राजा का आदेश मानेंगे और उसका अनुसरण करेंगे।
तब सभी लोग असत्य देवता बाल के पूजागृह को गए। लोगों ने बाल की मूर्ति और उसकी वेदियों को नष्ट कर दिया। उन्होंने उनके बहुत से टुकड़े कर डाले। लोगों ने बाल के याजक मत्तन को भी वेदी के सामने मार डाला। तब याजक यहोयादा ने कुछ लोगों को यहोवा के मन्दिर की व्यवस्था के लिये रखा।
याजकों, विशेष रक्षकों और सेनापतियों के अनुरक्षण में राजा यहोवा के मन्दिर से राजमहल तक गया और अन्य सभी लोग उनके पीछे—पीछे गए। वे राजा के महल के द्वार तक गए। तब राजा योआश राजसिंहासन पर बैठा।