यहोवा यों कहता है, मैं सिय्योन में लौट आया हूं, और यरूशेलम के बीच में वास किए रहूंगा, और यरूशलेम की सच्चाई का नगर कहलाएगा, और सेनाओं के यहोवा का पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा।
सेनाओं का यहोवा यों कहता है, चाहे उन दिनों में यह बात इन बचे हुओं की दृष्टि में अनोखी ठहरे, परन्तु क्या मेरी दृष्टि में भी यह अनोखी ठहरेगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है?
सेनाओं का यहोवा यों कहता है, तुम इन दिनों में ये वचन उन भविष्यद्वक्ताओं के मुख से सुनते हो जो सेनाओं के यहोवा के भवन की नेव डालने के समय अर्थात मन्दिर के बनने के समय में थे।
उन दिनों के पहिले, न तो मनुष्य की मजदूरी मिलती थी और न पशु का भाड़ा, वरन सताने वालों के कारण न तो आने वाले को चैन मिलता था और न जाने वाले को ; क्योंकि मैं सब मनुष्यों से एक दूसरे पर चढ़ाई कराता था।
क्योंकि अब शान्ति के समय की उपज अर्थात दाखलता फला करेंगी, पृथ्वी अपनी उपज उपजाया करेगी, और आकाश से ओस गिरा करेगी; क्योंकि मैं अपनी इस प्रजा के बचे हुओं को इन सब का अधिकारी कर दूंगा।
और हे यहूदा के घराने, और इस्राएल के घराने, जिस प्रकार तुम अन्यजातियों के बीच शाप के कारण थे उसी प्रकार मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा, और तुम आशीष के कारण होगे। इसलिये तुम मत डरो, और न तुम्हारे हाथ ढीले पड़ने पाएं॥
सेनाओं का यहोवा यों कहता है: चौथे, पांचवें, सातवें और दसवें महीने में जो जो उपवास के दिन होते हैं, वे यहूदा के घराने के लिये हर्ष और आनन्द और उत्सव के पर्वों के दिन हो जाएगें; इसलिये अब तुम सच्चाई और मेल-मिलाप से प्रीति रखो॥
सेनाओं का यहोवा यों कहता है : उस दिनों में भांति भांति की भाषा बोलने वाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरूष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है॥