तब मैं ने कहा, हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है!
तू इन लोगों के मन को मोटे और उनके कानों को भारी कर, और उनकी आंखों को बन्द कर; ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से बूझें, और मन फिरावें और चंगे हो जाएं।
चाहे उसके निवासियों का दसवां अंश भी रह जाए, तौभी वह नाश किया जाएगा, परन्तु जैसे छोटे वा बड़े बांजवृझ को काट डालने पर भी उसका ठूंठ बना रहता है, वैसे ही पवित्र वंश उसका ठूंठ ठहरेगा॥