फिर उसने मुझ से कहा, ये उत्तरी और दक्खिनी कोठरियां जो आंगन के साम्हने हें, वे ही पवित्र कोठरियां हैं, जिन में यहोवा के समीप जाने वाले याजक परमपवित्र वस्तुएं खाया करेंगे; वे परमपवित्र वस्तुएं, और अन्नबलि, और पापबलि, और दोषबलि, वहीं रखेंगे; क्योंकि वह स्थान पवित्र है।
जब जब याजक लोग भीतर जाएंगे, तब तब निकलने के समय वे पवित्र स्थान से बाहरी आंगन में यों ही न निकलेंगे, अर्थात वे पहिले अपनी सेवा टहल के वस्त्र पवित्र स्थान में रख देंगे; क्योंकि ये कोठरियां पवित्र हैं। तब वे और वस्त्र पहिन कर साधारण लोगों के स्थान में जाएंगे।
उसने उस स्थान की चारों अलंगें मापीं, और उसकी चारों ओर एक भीत थी, वह पांच सौ बांस लम्बी और पांच सौ बांस चौड़ी थी, और इसलिये बनी थी कि पवित्र और सर्वसाधारण को अलग अलग करे।