और मैं ने यही बात तुम्हें इसलिये लिखी, कि कहीं ऐसा न हो, कि मेरे आने पर जिन से आनन्द मिलना चाहिए, मैं उन से उदास होऊं; क्योंकि मुझे तुम सब पर इस बात का भरोसा है, कि जो मेरा आनन्द है, वही तुम सब का भी है।
बड़े क्लेश, और मन के कष्ट से, मैं ने बहुत से आंसु बहा बहाकर तुम्हें लिखा, इसलिये नहीं, कि तुम उदास हो, परन्तु इसलिये कि तुम उस बड़े प्रेम को जान लो, जो मुझे तुम से है॥
जिस का तुम कुछ क्षमा करते हो उस मैं भी क्षमा करता हूं, क्योंकि मैं ने भी जो कुछ क्षमा किया है, यदि किया हो, तो तुम्हारे कारण मसीह की जगह में होकर क्षमा किया है।
क्योंकि हम उन बहुतों के समान नहीं, जो परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं; परन्तु मन की सच्चाई से, और परमेश्वर की ओर से परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं॥