Indian Language Bible Word Collections
Psalms 74:12
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Psalms 74 Verses
1
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हे परमेश्वर, क्या तूने हमें सदा के लिये बिसराया हैय? क्योंकि तू अभी तक अपने निज जनों से क्रोधित है? |
2
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उन लोगों को स्मरण कर जिनको तूने बहुत पहले मोल लिया था। हमको तूने बचा लिया था। हम तेरे अपने हैं। याद कर तेरा निवास सिय्योन के पहाड़ पर था। |
3
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हे परमेश्वर, आ और इन अति प्राचीन खण्डहरों से हो कर चल। तू उस पवित्र स्थान पर लौट कर आजा जिसको शत्रु ने नष्ट कर दिया है। |
4
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मन्दिर में शत्रुओं ने विजय उद्घोष किया। उन्होंने मन्दिर में निज झंडों को यह प्रकट करने के लिये गाड़ दिया है कि उन्होंने युद्ध जीता है। |
5
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शत्रुओं के सैनिक ऐसे लग रहे थे, जैसे कोई खुरपी खरपतवार पर चलाती हो। |
6
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हे परमेश्वर, इन शत्रु सैनिकों ने निज कुल्हाडे और फरसों का प्रयोग किया, और तेरे मन्दिर की नक्काशी फाड़ फेंकी। |
7
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परमेश्वर इन सैनिकों ने तेरा पवित्र स्थान जला दिया। तेरे मन्दिर को धूल में मिला दिया, जो तेरे नाम को मान देने हेतु बनाया गया था। |
8
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उस शत्रु ने हमको पूरी तरह नष्ट करने की ठान ली थी। सो उन्होंने देश के हर पवित्र स्थल को फूँक दिया। |
9
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कोई संकेत हम देख नहीं पाये। कोई भी नबी बच नहीं पाया था। कोई भी जानता नहीं था क्या किया जाये। |
10
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हे परमेश्वर, ये शत्रु कब तक हमारी हँसी उड़ायेंगे क्या तू इन शत्रुओं को तेरे नाम का अपमान सदा सर्वदा करने देगा। |
11
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हे परमेश्वर, तूने इतना कठिन दण्ड हमकों क्यों दिया तूने अपनी महाशक्ति का प्रयोग किया और हमें पूरी तरह नष्ट किया! |
12
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हे परमेश्वर, बहुत दिनों से तू ही हमारा शासक रहा। इस देश में तूने अनेक युद्ध जीतने में हमारी सहायता की। |
13
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हे परमेश्वर, तूने अपनी महाशक्ति से लाल सागर के दो भाग कर दिये। |
14
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तूने विशालकाय समुद्री दानवों को पराजित किया! तूने लिव्यातान के सिर कुचल दिये, और उसके शरीर को जंगली पशुओं को खाने के लिये छोड़ दिया। |
15
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तूने नदी, झरने रचे, फोड़कर जल बहाया। तूने उफनती हुई नदियों को सुखा दिया। |
16
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हे परमेश्वर, तू दिन का शासक है, और रात का भी शासक तू ही है। तूने ही चाँद और सूरज को बनाया। |
17
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तू धरती पर सब की सीमाएं बाँधता है। तूने ही गर्मी और सर्दी को बनाया। |
18
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हे परमेश्वर, इन बातों को याद कर। और याद कर कि शत्रु ने तेरा अपमान किया है। वे मूर्ख लोग तेरे नाम से बैर रखते हैं! |
19
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हे परमेश्वर, उन जंगली पशुओं को निज कपोत मत लेने दे! अपने दीन जनों को तू सदा मत बिसरा। |
20
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हमने जो आपस में वाचा की है उसको याद कर, इस देश में हर किसी अँधेरे स्थान पर हिंसा है। |
21
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हे परमेश्वर, तेरे भक्तों के साथ अत्याचार किये गये, अब उनको और अधिक मत सताया जाने दे। तेरे असहाय दीन जन, तेरे गुण गाते है। |
22
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हे परमेश्वर, उठ और प्रतिकार कर! स्मरण कर की उन मूर्ख लोगों ने सदा ही तेरा अपमान किया है। |
23
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वे बुरी बातें मत भूल जिन्हें तेरे शत्रुओं ने प्रतिदिन तेरे लिये कही। भूल मत कि वे किस तरह से युद्ध करते समय गुरर्ये। |