(2-3) सिप्पोर के पुत्र बालाक ने एमोरी लोगों के साथ इस्राएल के लोगों ने जो कुछ किया था, उसे देखा था औ मोआब बहुत अधिक भयभीत था क्योंकि वहाँ इस्राएल के बहुत लोग थे। मोआब इस्राएल के लोगों से बहुत आतंकित था।
मोआब के नेताओं ने मिद्यान के अग्रजों से कहा, “लोगों का यह विशाल समूह हमारे चारों ओर की सभी चीज़ों को वैसे ही नष्ट कर देगा जैसे कोई गाय मैदान की घास चर जाती है।” इस समय सिप्पोर का पुत्र बालाक मोआब का राजा था।
उसने कुछ व्यक्तियों को बोर के पुत्र बिलाम को बुलाने के लिए भेजा। बिलाम नदी के निकट पतोर नाम के क्षेत्र में था। बालाक ने कहा, “लोगों का एक नया राष्ट्र मिस्र से आया है। वे इतने अधिक हैं कि पूरे प्रदेश में फैल सकते हैं। उन्होंने ठीक हमारे पास डेरा डाला है।
आओ और इन लोगों के साथ निपटने में मेरी सहायता करो। वे मेरी शक्ति से बहुत अधिक शक्तिशाली हैं। संभव है कि तब इनको मैं हरा सकूँ। तब मैं उन्हें अपना देश छोड़ने को विवश कर सकता हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम बड़ी शक्ति रखते हो। यदि तुम किसी व्यक्ति को आशीर्वाद देते हो तो उसका भला हो जाता है। यदि तुम किसी व्यक्ति के विरुद्ध कहते हो तो उसका बुरा हो जाता है। इसलिए आओ और इन लोगों के विरुद्ध कुछ कहो।”
बिलाम ने उनसे कहा, “यहाँ रात में रुको। मैं यहोवा से बातें करुँगा और जो उत्तर, वह मुझे देगा, वह तुमसे कहूँगा।” इसलिए उस रात मोआबी लोगों के नेता उसके साथ ठहरे।
सन्देश यह हैः लोगों का एक नया राद्र मिस्र से आया है। वे इतने अधिक हैं कि सारे देश में फैल सकते हैं। इसलिए आओ और इन लोगों के विरुद्ध कुछ कहो। तब सम्भ्व है कि उनसे लड़ने में मैं समर्थ हो सकूँ ओर अपने देश को छोड़ने के लिए उन्हे विवश कर सकूँ।”
इसलिए बालाक ने दूसरे नेताओं को बिलाम के पास भेजा। इस बार उसने पहली बार की अपेक्षा बहुत अधिक आदमी भेजे और ये नेता पहली बार के नेताओं की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण थे।
किन्तु बिलाम ने उन लोगों को उत्तर दिया। उसने कहा, “मुझे यहोवा मेरे परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिए। मैं उसके आदेश के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकता। मैं बड़ा छोटा कुछ भी तब तक नहीं कर सकता जब तक यहोवा नहीं कहता कि मैं उसे कर सकता हूँ। यदि राजा बालाक अपने सोने चाँदी भरे सुन्दर घर को दे तो भी मैं अपने परमेश्वर यहोवा के आदेश के विरुद्ध कुछ नहीं करूँगा।
उस रात परमेश्वर बिलाम के पास आया। परमेश्वर ने कहा, “ये लोग अपने साथ ले जाने के लिए को फिर आ गए हैं। इस्राएल तुम उनके साथ जा सकते हो। किन्तु केवल वही करो जो मैं तुमसे करने को कहूँ।”
बिलाम अपने गधे पर सवार था। उसके सेवकों में से दो उसके साथ थे। जब बिलाम यात्रा कर रहा था, परमेश्वर उस पर क्रोधित हो गया। इसलिए यहोवा का दूत बिलाम के सामने सड़क पर खड़ा हो गया। दूत बिलाम को रोकने जा रहा था। [*रोकने … रहा था शाब्दिक, “उसका विरोध करने।”]
बिलाम के गधे ने यहोवा के दूत को सड़क पर खड़ा देखा। दूत के हाथ में एक तलवार थी। इसलिए गधा सड़क से मुड़ा और खेत में चला गया। बिलाम दूत को नहीं देख सकता था। इसलिए वह गधे पर बहुत क्रोधित हुआ। उसने गधे को मारा और उसे सड़क पर लौटने को विवश किया।
इसके बाद, यहोवा का दूत दूसरे स्थान पर खड़ा हुआ। यह दूसरी जगह थी जहाँ सड़क सँकरी हो गई थी। वहाँ कोई ऐसी जगह नहीं थी जहाँ गधा मुड़ सके। गधा दायें या बायें नहीं मुड़ सकता था।
किन्तु गधे ने बिलाम से कहा, “मैं तुम्हारा अपना गधा हूँ जिस पर तुम अनेक वर्ष से सवार हुए हो और तुम जानते हो कि मैंने ऐसा इसके पहले कभी नहीं किया है।” “यह सही है।” बिलाम ने कहा।
यहोवा के दूत ने बिलाम से पूछा, “तुमने अपने गधे को तीन बार क्यों मारा तुम्हें मुझ पर क्रोध से पागल होना चाहिए। मैं तुमको रोकने के लिए यहाँ आया हूँ। तुम्हें कुछ अधिक सावधान रहना चाहिए। [†सावधान रहना चाहिए शाब्दिक, “जैसे कि मेरे सामने से मार्ग हट गया है” या “क्योंकि तुम उचित नहीं कर रहे हो।” यहाँ हिब्रू पाठ समझना कठिन है।]
यहोवा के दूत ने बिलाम से कहा, “नहीं, तुम इन लोगों के साथ जा सकते हो। किन्तु सावधान रहो। वही बातें कहोव जो मैं तुमसे कहने के लिए कहूँगा।” इसलिए बिलाम बालाक द्वारा भेजे गए नेताओं के साथ गया।
जब बालाक ने बिलाम को देखा तो उसने बिलाम से कहा, “मैंने इसके पहले तुमसे आने के लिए कहा था और यह भी बताया था कि यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तुम हमारे पास क्यों नहीं आए क्या यह सच है कि तुम मुझसे कोई भी पुरस्कार या भुगतान नहीं पाना चाहते”
किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मैं अब तुम्हारे पास आया हूँ। लेकिन मैं, जो तुमने करने को कहा था उनमें से, शायद कुछ भी न कर सकूँ। मैं केवल वही बातें तुमसे कह सकता हूँ जो परमश्वर मुझसे कहने को कहता है।”