फिर यीशु ने उससे कहा, “देख इस बारे में किसी से कुछ मत कहना। पर याजक के पास जा कर उसे अपने आप को दिखा। फिर मूसा के आदेश के अनुसार भेंट चढ़ा ताकि लोगों को तेरे ठीक होने की साक्षी मिले।”
यह मैं जानता हूँ क्योंकि मैं भी एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो किसी बड़े अधिकारी के नीचे काम करता हूँ और मेरे नीचे भी दूसरे सिपाही हैं। जब मैं एक सिपाही से कहता हूँ ‘जा’ तो वह चला जाता है और दूसरे से कहता हूँ ‘आ’ तो वह आ जाता है। मैं अपने दास से कहता हूँ कि ‘यह कर’ तो वह उसे करता है।”
जब यीशु ने यह सुना तो चकित होते हुए उसने जो लोग उसके पीछे आ रहे थे, उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ मैंने इतना गहरा विश्वास इस्राएल में भी किसी में नहीं पाया।
मैं तुम्हें यह और बताता हूँ कि, बहुत से पूर्व और पश्चिम से आयेंगे और वे भोज में इब्राहीम, इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में अपना-अपना स्थान ग्रहण करेंगे।
जब साँझ हुई, तो लोग उसके पास बहुत से ऐसे लोगों को लेकर आये जिनमें दुष्टात्माएँ थीं। अपनी एक ही आज्ञा से उसने दुष्टात्माओं को निकाल दिया। इस तरह उसने सभी रोगियों को चंगा कर दिया।
यह इसलिये हुआ ताकि परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा जो कुछ कहा था, पूरा हो: “उसने हमारे रोगों को ले लिया और हमारे संतापों को ओढ़ लिया।” यशायाह 53:4
(मरकुस 5:1-20; लूका 8:26-39) जब यीशु झील के उस पार, गदरेनियों के देश पहुँचा, तो उसे कब्रों से निकल कर आते दो व्यक्ति मिले, जिनमें दुष्टात्माएँ थीं। वे इतने भयानक थे कि उस राह से कोई निकल तक नहीं सकता था।
सो यीशु ने उनसे कहा, “चले जाओ।” तब वे उन व्यक्तियों में से बाहर निकल आए और सुअरों में जा घुसे। फिर वह समूचा रेवड़ ढलान से लुढ़कते, पुढ़कते दौड़ता हुआ झील में जा गिरा। सभी सुअर पानी में डूब कर मर गये।
सुअर के रेवड़ों के रखवाले तब वहाँ से दौड़ते हुए नगर में आये और सुअरों के साथ तथा दुष्ट आत्माओं से ग्रस्त उन व्यक्तियों के साथ जो कुछ हुआ था, कह सुनाया।