और फिर उसने उनसे कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, यहाँ जो खड़े हैं, उनमें से कुछ ऐसे हैं जो परमेश्वर के राज्य को सामर्थ्य सहित आया देखने से पहले मृत्यु का अनुभव नहीं करेंगे।”
तब पतरस बोल उठा और उसने यीशु से कहा, “हे रब्बी, यह बहुत अच्छा हुआ कि हम यहाँ हैं। हमें तीन मण्डप बनाने दे-एक तेरे लिये, एक मूसा के लिए और एक एलिय्याह के लिये।”
जब वे पहाड़ से नीचे उतर रहे थे तो यीशु ने उन्हें आज्ञा दी कि उन्होंने जो कुछ देखा है, उसे वे तब तक किसी को न बतायें जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे।
यीशु ने उनसे कहा, “हाँ, सब बातों को ठीक से व्यवस्थित करने के लिए निश्चय ही एलिय्याह पहले आयेगा। किन्तु मनुष्य के पुत्र के बारे में यह क्यों लिखा गया है कि उसे बहुत सी यातनाएँ झेलनी होंगी और उसे घृणा के साथ नकारा जायेगा?
(मत्ती 17:14-20; लूका 9:37-43) जब वे दूसरे शिष्यों के पास आये तो उन्होंने उनके आसपास जमा एक बड़ी भीड़ देखी। उन्होंने देखा कि उनके साथ धर्मशास्त्री विवाद कर रहे हैं।
जब कभी वह दुष्टात्मा इस पर आती है, इसे नीचे पटक देती है और इसके मुँह से झाग निकलने लगते हैं और यह दाँत पीसने लगता है और अकड़ जाता है। मैंने तेरे शिष्यों से इस दुष्ट आत्मा को बाहर निकालने की प्रार्थना की किन्तु वे उसे नहीं निकाल सके।”
तब वे लड़के को उसके पास ले आये और जब दुष्टात्मा ने यीशु को देखा तो उसने तत्काल लड़के को मरोड़ दिया। वह धरती पर जा पड़ा और चक्कर खा गया। उसके मुँह से झाग निकल रहे थे।
यीशु ने जब देखा कि भीड़ उन पर चड़ी चली आ रही है, उसने दुष्टात्मा को ललकारा और उससे कहा, “ओ बच्चे को बहरा गूँगा कर देने वाली दुष्टात्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ इसमें से बाहर निकल आ और फिर इसमें दुबारा प्रवेश मत करना!”
(मत्ती 17:22-23; लूका 9:43-45) फिर उन्होंने वह स्थान छोड़ दिया। और जब वे गलील होते हुए जा रहे थे तो वह नहीं चाहता था कि वे कहाँ हैं, इसका किसी को भी पता चले।
क्योंकि वह अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा था। उसने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र मनुष्य के ही हाथों धोखे से पकड़वाया जायेगा और वे उसे मार डालेंगे। मारे जाने के तीन दिन बाद वह जी उठेगा।”
“मेरे नाम में जो कोई इनमें से किसी भी एक बच्चे को अपनाता है, वह मुझे अपना रहा हैं; और जो कोई मुझे अपनाता है, न केवल मुझे अपना रहा है, बल्कि उसे भी अपना रहा है, जिसने मुझे भेजा है।” जो हमारा विरोधी नहीं है, हमारा है
(मत्ती 18:6-9; लूका 17:1-2) “और जो कोई इन नन्हे अबोध बच्चों में से किसी को, जो मुझमें विश्वास रखते हैं, पाप के मार्ग पर ले जाता है, तो उसके लिये अच्छा है कि उसकी गर्दन में एक चक्की का पाट बाँध कर उसे समुद्र में फेंक दिया जाये।
यदि तेरा हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट डाल, टुंडा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो हाथों वाला हो कर नरक में डाला जाये, जहाँ की आग कभी नहीं बुझती।
यदि तेरा पैर तुझे पाप की राह पर ले जाये उसे काट दे। लँगड़ा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है, बजाय इसके कि दो पैरों वाला हो कर नरक में डाला जाये।
यदि तेरी आँख तुझ से पाप करवाए तो उसे निकाल दे। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो आँखों वाला हो कर नरक में डाला जाये।
“हर व्यक्ति को आग पर नमकीन बनाया जायेगा। [§कुछ यूनानी प्रतियों में “और हर एक बलि को नमक से नमकीन किया जाएगा” जोड़ा गया है। पुराने नियम में बलियों पर नमक डाला जाता था। इस पद का अर्थ यह हो सकता है कि यीशु के शिष्यों की दुःख मुसीबत से परीक्षा होगी और उन्हें अपने आप को बलि के रूप में परमेश्वर को अर्पित करना होगा।]