“ये उन लोगों के लिए नियम हैं जिन्हें भयानक चर्म रोग था और जो स्वस् हो गए। ये नियम उस व्यक्ति को शुद्ध बनाने के लिए है। “याजक को उस व्यक्ति को देखान चाहिए जिसे भयानक चर्म रोग है।
यदि व्यक्ति स्वस्थ है तो याजक उसे यह करने को कहेगा: उसे दो जीवित शुद्ध पक्षी, एक देवदारू की लकड़ी, लाल कपड़े का एक टुकड़ा और एक जूफा का पौधा लाना चाहिए।
तब याजक दूसरे पक्षी को ले, जो अभी जीवित है औ देवदारू की लकड़ी, लाल कपड़े के टुकड़े और जूफा का पौधा ले। याजक को जीवित पक्षी और अन्य चीज़ों को बहते हुए पानी के ऊपर मारे गए पक्षी के खून में डूबाना चाहिए।
याजक उस व्यक्ति पर सात बार खून छिड़केगा जिसे भायनक चर्म रोग है। तब याजक को घोषित करना चाहिए कि वह व्यक्ति सुद्ध है। तब याजक को खुले मैदान में जाना चाहिए और जीवित पक्षी को उड़ा देना चाहिए।
“इसके बाद उस व्यक्ति को अपने वस्त्र धोने चाहिए। उसे अपने सारे बाल काट डालने चाहिए और पानी से नहाना चाहिए। वह शुद्ध हो जाएगा। तब वह व्यक्ति डेरे में जा सकेगा। किन्तु उस अपने खेमे के बाहर सात दिन तक रहना चाहिए।
सातवें दिन उसे अपने सारे बाल काट डालने चाहिए। उसे अपने सिर, दाढ़ी, भौंहों के सभी बाल कटवा लेने चाहिए। तब उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और पानी से नहाना चाहिए। तब वह व्यक्ति शुद्ध होगा।
“आठवें दिन उस व्यक्ति को दो नर मेमने लेने चाहिए जिनमें कोई दोष न हो। उसे एक वर्ष की एक मादा मेमना भी लेनी चाहिए जिसमें कोई दोष न हो। उसे छ: र्क्वाट [*छ: र्क्वाट 3/10 एपा।] तेल मिला उत्तम महीन आटा लेना चाहिए। यह आटा अन्नबलि के लिए है। व्यक्ति को दो तिहाई पिन्ट [†दो तिहाई पिन्ट “एक लोज।”] जैतून का तेल लेना चाहिए।
“याजक दोषबलि का कुछ खून लेगा और फिर याजक इसमें से कुछ खून शुद्ध किये जाने वाले व्यक्ति के दाएँ कान के निचले सिरे पर लागएगा। याजक कुछ खून उस व्यक्ति के हाथ के दाएँ अंगूठे और दाएँ पैर के अंगूठे पर लगाएगा।
तब याजक अपने दाएँ हाथ की ऊँगलियाँ अपने बाएँ हाथ की हथेली में रखे हुये तेल में डुबाएगा। वह अपनी उँगली का उपयोग कुछ तेल यहोवा के सामने सात बार छिड़कने के लिए करेगा।
याजक अपनी हथेली का कुछ तेल शुद्ध किये जाने वेला व्यक्ति के दाएँ कान के निचले सिरे पर लगाएगा। याजक कुछ तेल उस व्यक्ति के दाएँ हाथ के अंगूठे और दाएं पैर के अंगूठे पर लागाएगा। याजक कुछ तेल दोषबलि के खून पर लगाएगा। [‡याजक … लगाएगा अर्थात् तेल उस खून के ऊपर लगाया जाता है जो व्यक्ति के कान, अंगूठे और पैर के अंगूठे पर लगा था।]
“किन्तु यदि व्यक्ति गरीब है और उन बलियों को देने में असमर्थ है तो उसे एक मेमना दोषबलि के रूप में लेना चाहिए। यह उत्तोलनबलि होगी जिससे याजक उसके पापों के भुगतान के लिए देघा। उसे दो क्वार्ट [§दो र्क्वाट “1/10 एपा।”] तेल मिला उत्तम महीन आटा लेना चाहिए। यह आटा अन्नबलि के रूप में उपयोग में आएगा। व्यक्ति को दो तिहाई पिन्ट जैतून का तेल
“आठवें दिन, वह व्यक्ति उन चीज़ों को याजक के पास मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाएगा। वे चीज़ें यहोवा के सामने बलि चढ़ाई जाएंगी जिससे व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा।
तब याजक दोषबलि के मेमने को मारेगा। कुछ खून शुद्ध बनाए जाने वाले व्यक्ति के दाएँ कान के निचले सिरे पर लगाएगा। याजक इसमें से कुछ खून इस व्यक्ति के दाएँ हाथ के अंगूठे और दाएँ पैर के अंगूठे पर लगाएगा।
तब याजक अपनी हथेली के कुछ तेल को शुद्ध बनाए जाने वाले व्यक्ति के दाएँ कान के सिरे पर लगाएगा। याजक इस तेल में से कुछ तेल व्यक्ति के दाएँ हाथ के अंगूठे और उसके दाएँ पैर के अंगूठ पर लगाएगा। याजक दोषबलि के खून लगे स्थान पर इसमें से कुछ तेल लगाएगा।
याजक को अपनी हथेली के बचे हुये तेल को शुद्ध किए जाने वाले व्यक्ति के सिर पर डालना चाहिए। इस प्रकार यहोवा के सामने याजक उस व्यक्ति के पापों का भुगतान करेगा।
व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार बलि चढ़ानी चाहिए। उसे पक्षियों में से एक को पापबलि के रूप में चढ़ाना चाहिए औ दूसरे पक्षी को होमबलि के रूप में उसे उनकी अन्नबलि के साथ भेंट चढ़ाना चाहिए। इस प्रकार याजक यहोवा के सामने उस व्यक्ति के पाप का भुगतान करेगा और वह व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा।”
ये भयानक चर्मरोग के ठीक होने के बाद किसी एक व्यक्ति के लिए हैं जो शुद्ध करने के नियम हैं। ये नियम उन व्यक्तियों के लिए हैं जो शुद्ध होने के लिए सामान्य बलियों का व्यय नहीं उठा सकते।
“तब याजक को आदेश देना चाहिए कि घर को खाली कर दिया जाय। लोगों को याजक के फफूँदी देखने जाने से पहले ही यह करना चाहिए। इस तरह घर घर की सभी चीज़ों को याजक को असुद्ध नहीं कहना पड़ेगा। लोगों द्वारा घर खाली कर दिए जाने पर याजक घर में देखने जाएगा।
तो याजक को लोगोंको आदेश देना चाहिए कि वे फफूँदी सहित पत्थरों को उखाड़ें और उन्हें दूर फेंग दें। उन्हें उन पत्थरों को नगर से बाहर विशेष अशुद्ध स्थान पर फेंकना चाहिए।
तब याजक को पूरे घर को अन्दर से खुरचवा डालना चाहिए। लोगों को उस लेप को जिसे उन्होंने खुरचा है, फेंक देना चाहिए। उन्हें उस लेप को नगर के बाहर विशेष अशुद्ध स्थान पर डालना चाहिए।
“घर में नये पत्थर और लेप लगाने के बाद याजक को घर की जाँच करनी चाहिए। यदि फफूँदी घर में नहीं फैली है तो याजक घोषणा करेगा की घर शुद्ध है। क्यों? क्योंकि फफूँदी समाप्त हो गई है!
तब याजक देवदारू की लकड़ी, जूफा का पौधा, लाल कपड़े का टुकड़ा और जीवित पक्षी को लेगा। याजक बहते जल के ऊपर मारे गए पक्षी के खून में उन चीज़ों को डुबाएगा। तब याजक उस खून को उस घर पर सात बार छिड़केगा।