“इस्राएल के लोगों से कहोः “यदि कोई स्त्री एक लड़के को जन्म देती है तो वह स्त्री सात दिन तक अशुद्ध रहेगी। यह उसके रक्त स्राव के मासिकधर्म के समय अशुद्ध होने की तरह होगा।
खून की हानि से उत्पन्न अशुद्धि से शुद्ध होने के तैंतीस दिन बाद तक यह होगा। उस स्त्री को वह कुछ नहीं छूना चाहिए जो पवित्र है। उसे पवित्र स्थान में तब तक नहीं जाना चाहिए जब तक उसके पवित्र होने कासमय पूरा न हो जाए।
किन्तु यदि स्त्री लड़की को जन्म देती है तो माँ रक्त स्राव के मासिक धर्म के समय की तरह दो स्पताह तक शुद्ध नहीं होगी। वह अपने खून की हानि के छियासठ दिन बाद शुद्ध हो जाती है।
“नहीं मैं जिसने अभी लड़की या लड़के को जन्म दिया है, ऐसी माँ के शुद्ध होने का विशेष समय पूरा होने पर उसे मिलापवाले तम्बू में विशेष भेंटें लानी चाहिए। उसे उन भेंटों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक को देना चाहिए। उसे एक वर्ष का मेमना होमबलि के लिए और पापबलि के हेतु एक फ़ाख्ता या कबूतर का बच्चा लाना चाहिए।
(7-8) यदि स्त्री मेमना लाने में असमर्थ हो तो वह दो फ़ाख्ते या दो कबूतर के बच्चे ला सकती है। एक पक्षी होमबलि के लिए होगा तथा एक पापबलि के लिए। याजक यहोवा के सामने उनहें अर्पित करेगा। इस प्रकार वह उसके लिए उसके पापों का भुगतान करेगा। तब वह अपने खून की हानि की अशुद्धि से शुद्ध होगी। ये नियम उन स्त्रियों के लिए है जो एक लड़का या लड़की को जन्म देती हैं।”