“शकेम नगर के प्रमुखों से यह प्रश्न पूछो: ‘यरूब्बाल के सत्तर पुत्रों से आप लोगों का शासित होना अच्छा है या किसी एक ही व्यक्ति से शासित होना? याद रखो, मैं तुम्हारा सम्बन्धी हूँ।’ ”
अबीमेलेक के मामाओं ने शकेम के प्रमुखों से बात की और उनसे वह प्रश्न किया। शकेम के प्रमुखों ने अबीमेलेक का अनुसरण करने का निश्चय किया। प्रमुखों ने कहा, “आखिरकार वह हमारा भाई है।”
इसलिए शकेम के प्रमुखों ने अबीमेलेक को सत्तर चाँदी के टुकड़े दिये। वह चाँदी बालबरोत देवता के मन्दिर की थी। अबीमेलेक ने चाँदी का उपयोग कुछ व्यक्तियों को काम पर लगाने के लिये किया। ये व्यक्ति खूँखार और बेकार थे। वे अबीमेलेक के पीछे, जहाँ कहीं वह गया, चलते रहे।
अबीमेलेक ओप्रा नगर को गया। ओप्रा उसके पिता का निवास स्थान था। उस नगर में अबीमेलेक ने अपने सत्तर भाईयों की हत्या कर दी। वे सत्तर भाई अबीमेलेक के पिता यरूब्बाल के पुत्र थे। उसने सभी को एक पत्थर पर मारा [*एक पत्थर पर मारा एक ही समय पर मारा।] किन्तु यरुब्बाल का सबसे छोटा पुत्र अबीमेलेक से दूर छिप गया और भाग निकला। सबसे छोटे पुत्र का नाम योताम था।
तब शकेम नगर के सभी प्रमुख और बेतमिल्लो के महल के सदस्य एक साथ आए। वे सभी लोग उस पाषाण—स्तम्भ के निकट के बड़े पेड़ के पास इकट्ठे हुए जो शकेम नगर में था और उन्होंने अबीमेलेक को अपना राजा बनाया।
योताम ने सुना कि शकेम के प्रमुखों ने अबीमेलेक को राजा बना दिया है। जब उसने यह सुना तो वह गया और गरिज्जीम पर्वत की चोटी पर खड़ा हुआ। योताम ने लोगों को यह कथा चिल्लाकर सुनाई। “शकेम के लोगों, मेरी बात सुनों और तब आपकी बात परमेश्वर सुनेगा।
“किन्तु जैतून के पेड़ ने कहा, ‘मनुष्य और ईश्वर मेरी प्रशंसा मेरे तेल के लिये करते हैं। क्या मैं जाकर केवल अन्य पेड़ों पर सासन करने के लिये अपना तेल बनाना बन्द कर दूँ?’
“किन्तु अंगूर की बेल ने उत्तर दिया, ‘मेरी दाखमधु मनुष्य और ईश्वर दोनों को प्रसन्न करती है। क्या मुझे केवल जाकर पेड़ों परशासन करने के लिये अपनी दाखमधु पैदा करना बन्द कर देना चाहिए।’
“किन्तु कंटीली झाड़ी ने पेड़ों से कहा, ‘यदि तुम सचमुच मुझे अपने ऊपर राजा बनाना चाहते हो तो आओ और मेरी छाया में अपनी शरण बनाओ। यदि तुम ऐसा करना नहीं चाहते तो इस कंटीली झाड़ी से आग निकलने दो, और उस आग को लबानोन के चीड़ के पेड़ों को भी जला देने दो।’
“यदि आप पूरी तरह उस समय ईमानदार थे जब आप लोगों ने अबीमेलेक को राजा बनाया, तो आप लोगों को उससे प्रसन्न होना चाहिए। यदि आप लोगों ने यरुब्बाल और उसके परिवार के लोगों के साथ उचित व्यवहार किया है तो, यह बहुत अच्छा है। यदि आपने यरुब्बाल के साथ वही व्यवहार किया है जो आपको करना चाहिये तो यही अच्छा है।
किन्तु तनिक सोचें कि मेरे पिता ने आपके लिये क्या किया है? मेरे पिता आप लोगों के लिये लड़े। उन्होंने अपने जीवन को उस समय खतरे में डाला जब उन्होंने आप लोगों को मिद्यानी लोगों से बचाया।
किन्तु अब आप लोग मेरे पिता के परिवार के विरूद्ध हो गए हैं। आप लोगों ने मेरे पिता के सत्तर पुत्रों को एक पत्थर पर मारा है। आप लोगों ने अबीमेलेक को शकेम का राजा बनाया है। वह मेरे पिता की दासी का पुत्र है। आप लोगों ने अबीमेलेक को केवल इसलिए राजा बनाया है कि वह आपका सम्बन्धी है।
इसलिये यदि आज आप लोग पूरी तरह यरुब्बाल और उसके परिवार के प्रति ईमानदार रहे हैं, तब अबीमेलेक को अपना राजा मानकर आप प्रसन्न हो सकते हैं और वह भी आप लोगों से प्रसन्न हो सकता है।
किन्तु यदि आपने उचित नहीं किया है तो, अबीमेलेक शकेम नगर के सभी प्रमुखों और मिल्लो के महल को नष्ट कर डाले। शकेम नगर के प्रमुख भी अबीमेलेक को नष्ट कर डाले।”
(23-24) अबीमेलेक ने यरुब्बाल के सत्तर पुत्रों को मार डाला था। वे अबीमेलेक के अपने भाई थे। शकेम नगर के प्रमुखों ने उन पुत्रों को मारने में उसकी सहायता की थी। इसलिए परमेश्वर ने अबीमेलेक और शकेम के प्रमुखों के बीच झगड़ा उत्पन्न कराया और शकेम के प्रमुखों ने अबीमेलेक को नुकसान पहुँचाने के लिये योजना बनाई।
शकेम नगर के प्रमुख अबीमेलेक को अब पसन्द नहीं कर रहे थे। उन लोगों ने पहाड़ियों की चोटियों पर से जाने वालों पर आक्रमण करने और उनका सब कुछ लूटने के लिये आदमियों को रखा। अबीमेलेक ने उन आक्रमणों के बारे में पता लगाया।
गाल नामक एक व्यक्ति और उसके भाई शकेम नगर को आए। गाल, एबेद नामक व्यक्ति का पुत्र था। शकेम के प्रमुखों ने गाल पर विश्वास और उसका अनुसरण करने का निश्चय किया।
एक दिन शकेम के लोग अपने बागों में अंगूर तोड़ने गाए। लोगों ने दाखमधु बनाने के लिये अगूरों को निचोड़ा और तब उन्होंने अपने देवता के मन्दिर पर एक दावत दी। लोगों ने खाया और दाखमधु पी। तब अबीमेलेक को अभिशाप दिया।
तब एबेद के पुत्र गाल ने कहा, “हम लोग शकेम के व्यक्ति हैं। हम अबीमेलेक की आज्ञा क्यों माने? वह अपने को क्या समझता है? यह ठीक है कि अबीमेलेक यरुब्बाल के पुत्रों में से एक है और अबीमेलेक ने जबूल को अपना अधिकारी बनाया, यह ठीक है? हमें अबीमेलेक की आज्ञा नहीं माननी चाहिए। हमें हमोर के लोगों की आज्ञा माननी चाहिए। (हमोर शकेम का पिता था।)
जबूल ने अबीमेलेक के पास अरुमा नगर में दूतों को भेजा। सन्देश यह है: “एबेद का पुत्र गाल और इस के भाई शकेम नगर में आए हैं और तुम्हारे लिये कठिनाई उत्पन्न कर रहे हैं। गाल पूरे नगर को तुम्हारे विरूद्ध कर रहा है।
एबेद का पुत्र गाल बाहर निकल कर शकेम नगर के फाटक के प्रवेश द्वार पर था। जब गाल वहाँ खड़ा था उसी समय अबीमेलेक और उसके सैनिक अपने छिपने के स्थानों से बाहर आए।
गाल ने सैनिकों को देखा। गाल ने जबूल से कहा, “ध्यान दो, पर्वतों से लोग नीचे उतर रहे हैं।” किन्तु जबूल ने कहा, “तुम केवल पर्वतों की परछाईयाँ देख रहे हो। परछाईयाँ लोगों की तरह दिखाई दे रही हैं।”
किन्तु गाल ने फिर कहा, “ध्यान दो प्रदेश की नाभि नामक स्थान से लोग बढ़ रहे हैं, और जादूगर के पेड़ से एक टुकड़ी आ रही है।” [†प्रदेश की … रही है शकेम के करीब की पहाड़ियों।]
तब जबूल ने उससे कहा, “अब तुम्हारी वह बड़ी—बड़ी बातें कहाँ गई, जो तुम कहते थे, ‘अबीमेलेक कौन होता है, जिसकी अधीनता में हम रहें?’ क्या वे वही लोग नहीं हैं जिनका तुम मजाक उड़ाते थे? जाओ और उनसे लड़ो।”
अबीमेलेक और उसके सैनिकों ने गाल और उसके आदमियों का पीछा किया। गाल के लोग शकेम नगर के फाटक की ओर पीछे भागे। गाल के बहुत से लोग फाटक पर पहुँचने से पहले मार डाले गए।
इसलिए अबीमेलेक ने अपने सैनिकों को तीन टुकड़ियों में बाँटा। वह शकेम के लोगों पर अचानक आक्रमण करना चाहता था। इसलिए उसने अपने आदमियों को खेतों मे छिपाया। जब उसने लोगों को नगर से बाहर आते देखा तो वह टूट पड़ा और उन पर आक्रमण कर दिया।
अबीमेलेक और उसके सैनिक शकेम नगर के साथ पूरे दिन लड़े। अबीमेलेक और उसके सैनिकों ने शकेम नगर पर अधिकार कर लिया और उस नगर के लोगों को मार डाला। तब अबीमेलेक ने उस नगर को ध्वस्त किया और उस ध्वंस पर नमक फेंकवा दिया।
कुछ लोग शकेम की मीनार के पास रहते थे। जब उस स्थान के लोगों ने सुना कि शकेम के साथ क्या हुआ है तब वे सबसे अधिक सुरक्षित उस कमरे में इकट्ठे हो गए जो एलबरीत देवता का मन्दिर था।
इसलिए अबीमेलेक और उसके सभी लोग सलमोन पर्वत पर गए। अबीमेलेक ने एक कुल्हाड़ी ली ओर उसने कुछ शाखाएँ काटीं। उसने उन शाखाओं को अपने कंधों पर रखा। तब उसने अपने साथ के आदमियों से कहा “जल्दी करो, जो मैंने किया है, वही करो।”
इसलिए उन लोगों ने शाखाएँ काटीं और अबीमेलेक का अनुसरण किया। उन्होंने शाखाओं की ढेर एलबरीत देवता के मन्दिर के सबसे अधिक सुरक्षित कमरे के साथ लगाई। तब उन्होंने शाखाओं में आग लगा दी और कमरे में लोगों को जला दिया। इस प्रकार लगभग शकेम की मीनार के निवासी एक हजार स्त्री—पुरुष मर गए।
किन्तु तेबेस नगर में एक दृढ़ मीनार थी। उस नगर के सभी स्त्री—पुरुष और उस नगर के प्रमुख उस मीनार के पास भागकर पहुँचे। जब नगर के लोग मीनार के भीतर घुस गए तो उन्होंने अपने पीछे मीनार का दरवाजा बन्द कर दिया। तब वे मीनार की छत पर चढ़ गए।
अबीमेलेक ने शीघ्रता से अपने उस नौकर से कहा जो उसके शस्त्र ले चल रहा था, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे मार डालो जिससे लोग यह न कहें, कि ‘एक स्त्री ने अबीमेलेक को मार डाला।’ ” इसलिए नौकर ने अबीमेलेक में अपनी तलवार घुसेड़ दी और अबीमेलेक मर गया।
परमेश्वर ने शकेम नगर के लोगों को भी उनके द्वारा किये गए पाप का दण्ड दिया। इस प्रकार योताम ने जो कहा, सत्य हुआ। (योताम यरुब्बाल का सबसे छोटा पुत्र था। यरुब्बाल गिदोन था।)