Indian Language Bible Word Collections
Job 22:20
Job Chapters
Job 22 Verses
Books
Old Testament
New Testament
Bible Versions
English
Tamil
Hebrew
Greek
Malayalam
Hindi
Telugu
Kannada
Gujarati
Punjabi
Urdu
Bengali
Oriya
Marathi
Assamese
Books
Old Testament
New Testament
Job Chapters
Job 22 Verses
1
फिर तेमान नगर के एलीपज ने उत्तर देते हुए कहा:
2
“परमेश्वर को कोई भी व्यक्ति सहारा नहीं दे सकता, यहाँ तक की वह भी जो बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हो परमेश्वर के लिये हितकर नहीं हो सकता।
3
यदि तूने वही किया जो उचित था तो इससे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को आनन्द नहीं मिलेगा, और यदि तू सदा खरा रहा तो इससे उसको कुछ नहीं मिलेगा।
4
अय्यूब, तुझको परमेश्वर क्यों दण्ड देता है और क्यों तुझ पर दोष लगाता है क्या इसलिए कि तू उसका सम्मान नहीं करता
5
नहीं, ये इसलिए की तूने बहुत से पाप किये हैं, अय्यूब, तेरे पाप नहीं रुकते हैं।
6
अय्यूब, सम्भव है कि तूने अपने किसी भाई को कुछ धन दिया हो, और उसको दबाया हो कि वह कुछ गिरवी रख दे ताकि ये प्रमाणित हो सके कि वह तेरा धन वापस करेगा। सम्भव है किसी दीन के कर्जे के बदले तूने कपड़े गिरवी रख लिये हों, सम्भव है तूने वह व्यर्थ ही किया हो।
7
तूने थके—मांदे को जल नहीं दिया, तूने भूखों के लिये भोजन नहीं दिया।
8
अय्यूब, यद्यपि तू शक्तिशाली और धनी था, तूने उन लोगों को सहारा नहीं दिया। तू बड़ा जमींदार और सामर्थी पुरुष था,
9
किन्तु तूने विधवाओं को बिना कुछ दिये लौटा दिया। अय्यूब, तूने अनाथ बच्चों को लूट लिया और उनसे बुरा व्यवहार किया।
10
इसलिए तेरे चारों तरफ जाल बिछे हुए हैं और तुझ को अचान्क आती विपत्तियाँ डराती हैं।
11
इसलिए इतना अंधकार है कि तुझे सूझ पड़ता है और इसलिए बाढ़ का पानी तुझे निगल रहा है।
12
“परमेश्वर आकाश के उच्चतम भाग में रहता है, वह सर्वोच्च तारों के नीचे देखता है, तू देख सकता है कि तारे कितने ऊँचे हैं।
13
किन्तु अय्यूब, तू तो कहा करता है कि परमेश्वर कुछ नहीं जानता, काले बादलों से कैसे परमेश्वर हमें जाँच सकता है
14
घने बादल उसे छुपा लेते हैं, इसलिये जब वह आकाश के उच्चतम भाग में विचरता है तो हमें ऊपर आकाश से देख नहीं सकता।
15
“अय्यूब, तू उस ही पुरानी राह पर जिन पर दुष्ट लोग चला करते हैं, चल रहा है।
16
अपनी मृत्यु के समय से पहले ही दुष्ट लोग उठा लिये गये, बाढ़ उनको बहा कर ले गयी थी।
17
ये वही लोग है जो परमेश्वर से कहते हैं कि हमें अकेला छोड़ दो, सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारा कुछ नहीं कर सकता है।
18
किन्तु परमेश्वर ने उन लोगों को सफल बनाया है और उन्हें धनवान बना दिया। किन्तु मैं वह ढंग से जिससे दुष्ट सोचते हैं, अपना नहीं सकता हूँ।
19
सज्जन जब बुरे लोगों का नाश देखते हैं, तो वे प्रसन्न होते है। त लोग दुष्टों पर हँसते है और कहा करते हैं,
20
‘हमारे शत्रु सचमुच नष्ट हो गये! आग उनके धन को जला देती है।
21
“अय्यूब, अब स्वयं को तू परमेश्वर को अर्पित कर दे, तब तू शांति पायेगा। यदि तू ऐसा करे तो तू धन्य और सफल हो जायेगा।
22
उसकी सीख अपना ले, और उसके शब्द निज मन में सुरक्षित रख।
23
अय्यूब, यदि तू फिर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास आये तो फिर से पहले जैसा हो जायेगा। तुझको अपने घर से पाप को बहुत दूर करना चाहिए।
24
तुझको चाहिये कि तू निज सोना धूल में और निज ओपीर का कुन्दन नदी में चट्टानो पर फेंक दे।
25
तब सर्वशक्तिमान परमेश्वर तेरे लिये सोना और चाँदी बन जायेगा।
26
तब तू अति प्रसन्न होगा और तुझे सुख मिलेगा। परमेश्वर के सामने तू बिना किसी शर्म के सिर उठा सकेगा।
27
जब तू उसकी विनती करेगा तो वह तेरी सुना करेगा, जो प्रतिज्ञा तूने उससे की थी, तू उसे पूरा कर सकेगा।
28
जो कुछ तू करेगा उसमें तुझे सफलता मिलेगी, तेरे मार्ग पर प्रकाश चमकेगा।
29
परमेश्वर अहंकारी जन को लज्जित करेगा, किन्तु परमेश्वर नम्र व्यक्ति की रक्षा करेगा।
30
परमेश्वर जो मनुष्य भोला नहीं है उसकी भी रक्षा करेगा, तेरे हाथों की स्वच्छता से उसको उद्धार मिलेगा।”