उस समय के आसपास हिजकिय्याह बहुत बीमार पड़ा। इतना बीमार कि जैसे वह मर ही गया हो। सो आमोस का पुत्र यशायाह उससे मिलने गया। यशायाह ने राजा से कहा, “यहोवा ने तुम्हें ये बातें बताने के लिये कहा है: ‘शीघ्र ही तू मर जायेगा। सो जब तू मरे, परिवार वाले क्या करें, यह तुझे उन्हें बता देना चाहिये। अब तू फिर कभी अच्छा नहीं होगा।’ ”
“हे यहोवा, कृपा कर, याद कर कि मैंने सदा तेरे सामने विश्वासपूर्ण और सच्चे हृदय के साथ जीवन जिया है। मैंने वे बातें की हैं जिन्हें तू उत्तम कहता है।” इसके बाद हिजकिय्याह ने ऊँचे स्वर में रोना शुरु कर दिया।
“हिजकिय्याह के पास जा और उससे कह दे: ये बातें वे हैं जिन्हें तुम्हारे पिता दाऊद का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है और तेरे दु:ख भरे आँसू देखे हैं। तेरे जीवन में मैं पन्द्रह वर्ष और जोड़ रहा हूँ।
मैंने अपने मन में कहा कि मैं तब तक जीऊँगा जब तक बूढ़ा होऊँगा। किन्तु मेरा काल आ गया था कि मैं मृत्यु के द्वार से गुजरुँ। अब मैं अपना समय यहीं पर बिताऊँगा।
मेरा घर, चरवाहे के अस्थिर तम्बू सा उखाड़ कर गिराया जा रहा है और मुझसे छीना जा रहा है। अब मेरा वैसा ही अन्त हो गया है जैसे करघे से कपड़ा लपेट कर काट लिया जाता है। क्षणभर में तूने मुझ को इस अंत तक पहुँचा दिया!
मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा। मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा। मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
मैं और क्या कह सकता हूँ मेरे स्वामी ने मुझ को बताया है जो कुछ भी घटेगा, और मेरा स्वामी ही उस घटना को घटित करेगा। मैंने इन विपत्तियों को अपनी आत्मा में झेला है इसलिए मैं जीवन भर विनम्र रहूँगा।
हे मेरे स्वामी, इस कष्ट के समय का उपयोग फिर से मेरी चेतना को सशक्त बनाने में कर। मेरे मन को सशक्त और स्वस्थ होने में मेरी सहायता कर! मुझको सहारा दे कि मैं अच्छा हो जाऊँ! मेरी सहायता कर कि मैं फिर से जी उठूँ!
देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है। तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया। तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
तेरी स्तुति मरे व्यक्ति नहीं गाते! मृत्यु के देश में पड़े लोग तेरे यशगीत नहीं गाते। वे मरे हुए व्यक्ति जो कब्र में समायें हैं, सहायता पाने को तुझ पर भरोसा नहीं रखते।
[*छपे हूए हिब्रू पाठ में पद 21 अंत में दी गयी है।] फिर इस पर यशायाह ने कहा, “अंजीरों को आपस में मसलवा कर उसके फोड़ों पर बाँध। इससे वह अच्छा हो जायेगा।”
[†यह बाइसवां पद छपे हुए हिब्रू पाठ में अंत में दिया गया हैं।] किन्तु हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, “यहोवा की ओर से ऐसा कौन सा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं अच्छा हो जाऊँगा कौन सा ऐसा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं यहोवा के मन्दिर में जाने योग्य हो जाऊँगा”