English Bible Languages

Indian Language Bible Word Collections

Bible Versions

English

Tamil

Hebrew

Greek

Malayalam

Hindi

Telugu

Kannada

Gujarati

Punjabi

Urdu

Bengali

Oriya

Marathi

Assamese

Books

Isaiah Chapters

Isaiah 32 Verses

1 मैं जो बातें बता रहा हूँ, उन्हें सुनो! किसी राजा को ऐसे राज करना चाहिये जिससे भलाई आये। मुखियाओं को लोगों का नेतृत्व करते समय निष्पक्ष निर्णय लेने चाहिये।
2 यदि ऐसा होगा तो राजा उस स्थान के समान हो जायेगा जहाँ लोग आँधी और वर्षा से बचने के लिये आश्रय लेते हैं। यह सूखी धरती में जलधाराओं के समान होगा। यह ऐसा ही होगा जैसे गर्म प्रदेश में किसी बड़ी चट्टान की ठण्डी छाया।
3 फिर लोगों की वे आँखे जो देख सकती हैं, वे बंद नहीं रहेगी। उन के कान जो सुनते हैं, वे वास्तव में उस पर ध्यान देंगे।
4 वे लोग जो उतावले हैं, वे सही फैसले लेंगे। वे लोग जो अभी साफ़ साफ़ नहीं बोल पाते हैं, वे साफ़ साफ़ और जल्दी जल्दी बोलने लगेंगे।
5 मूर्ख लोग महान व्यक्ति नहीं कहलायेंगे। लोग षड़यन्त्र करने वालों को सम्मान योग्य नहीं कहेंगे।
6 एक मूर्ख व्यक्ति तो मूर्खतापूर्ण बातें ही कहता है और वह अपने मन में बुरी बातों की ही योजनाएँ बनाता है। मूर्ख व्यक्ति अनुचित कार्य करने की ही सोचता है। मूर्ख व्यक्ति यहोवा के बारे में ग़लत बातें कहता है। मूर्ख व्यक्ति भूखों को भोजन नहीं करने देता। मूर्ख व्यक्ति प्यासे लोगों को पानी नहीं पीने देता।
7 वह मूर्ख व्यक्ति बुराई को एक हथियार के रुप में इस्तेमाल करता है। वह निर्धन लोगों से झूठ के जरिए बरबाद करने के लिये बुरे बुरे रास्ते बताता रहता है। उसकी यें झूठी बातें गरीब लोगों को निष्पक्ष न्याय मिलने से दूर रखती हैं।
8 किन्तु एक अच्छा मुखिया अच्छे काम करने की योजना बनाता है और उसकी वे अच्छी बातें ही उसे एक अच्छा नेता बनाती हैं।
9 तुममें से कुछ स्त्रियाँ अभी खुश हैं। तुम सुरक्षित अनुभव करती हो। किन्तु तुम्हें खड़े होकर जो वचन मैं बोल रहा उन्हें सुनना चाहिये।
10 स्त्रियों तुम अभी सुरक्षित अनुभव करती हो किन्तु एक वर्ष बाद तुम पर विपत्ति आने वाली है। क्यों क्योंकि तुम अगले वर्ष अँगूर इकट्ठे नहीं करोगी—इकट्ठे करने के लिये अँगूर होंगे ही नहीं।
11 स्त्रियों, अभी तुम चैन से हो, किन्तु तुम्हें डरना चाहिये! स्त्रियों, अभी तुम सुरक्षित अनुभव करती हो, किन्तु तुम्हें चिन्ता करनी चाहिये! अपने सुन्दर वस्त्रों को उतार फेंको और शोक वस्त्रों को धारण कर लो। उन वस्त्रों को अपनी कमर पर लपेट लो।
12 अपनी शोक से भरी छातियों पर उन शोक वस्त्रों को पहन लो। विलाप करो क्योंकि तुम्हारे खेत उजड़े हुए हैं। तुम्हारे अँगूर के बगीचे जो कभी अँगूर दिया करते थे, अब खाली पड़े हैं।
13 मेरे लोगों की धरती के लिये विलाप करो। विलाप करो, क्योंकि वहाँ बस काँटे और खरपतवार ही उगा करेंगे। विलाप करो इस नगर के लिये और उन सब भवनों के लिये जो कभी आनन्द से भरे हुए थे।
14 लोग इस प्रमुख नगर को छोड़ जायेंगे। यह महल और ये मिनारें वीरान छोड़ दिये जायेंगे। वे जानवरों की माँद जैसे हो जाएँगे। नगर में जंगली गधे विहार करेंगे। वहाँ भेड़े घास चरती फिरेंगी।
15 तब तक ऐसा ही होता रहेगा, जब तक परमेश्वर ऊपर से हमें अपनी आत्मा नहीं देगा। अब धरती पर कोई अच्छाई नहीं है। यह रेगिस्तान सी बनी हुई हैं किन्तु आने वाले समय में यह रेगिस्तान उपजाऊ मैदान हो जायेगा।
16 यह उपजाऊ मैदान एक हरे भरे वन जैसा बन जायेगा। चाहे जंगल हो चाहे उपजाऊ धरती, हर कहीं न्याय और निष्पक्षता मिलेगी।
17 वह नेकी सदा—सदा के लिये शांति और सुरक्षा को लायेगी।
18 मेरे लोग शांति के इस सुन्दर क्षेत्र में निवास करेंगे। मेरे लोग सुरक्षा के तम्बुओं में रहा करेंगे। वे निश्चिंतता के साथ शांतिपूर्ण स्थानों में निवास करेंगे।
19 किन्तु यें बातें घटें इससे पहले उस वन को गिरना होगा। उस नगर को पराजित होना होगा।
20 तुममें से कुछ लोग हर जलधारा के निकट बीज बोतेहो। तुम अपने मवेशियों और अपने गधों को इधर—उधर चरने के लिए खुला छोड़ देते हो।तुम लोग बहुत प्रसन्न रहोगे।
×

Alert

×