लोग वह सारा अन्न खा गए जो वे मिस्र से लाये थे। जब अन्न समाप्त हो गया, याकूब ने अपने पुत्रों से कहा, “फिर मिस्र जाओ। हम लोगों के खाने के लिए कुछ और अन्न खरीदो।”
किन्तु यहूदा ने याकूब से कहा, “उस देश के प्रसाशक ने हम लोगों को चेतावनी दी है। उसने कहा है, ‘यदि तुम लोग अपने भाई को मेरे पास वापस नहीं लाओगे तो मैं तुम लोगों से बात करने से मना भी कर दूँगा।’
भाईयों ने उत्तर दिया, “उस व्यक्ति ने सावधानी से हम लोगों से प्रश्न पूछे। वह हम लोगों तथा हम लोगों के परिवार के बारे में जानना चाहता था। उसने हम लोगों से पूछा, ‘क्या तुम लोगों का पिता अभी जीवित है? क्या तुम लोगों का अन्य भाई घर पर है?’ हम लोगों ने केाल उसके प्रश्नों के उत्तर दिए। हम लोग नहीं जानते थे के वह हमारे दूसरे भाई को अपने पास लाने को कहेगा।”
तब यहूदा ने अपने पिता इस्राएल से कहा, “बिन्यामीन को मेरे साथ भेजो। मैं उसकी देखभाल करूँगा हम लोग मिस्र अवश्य जाएँगे और भोजन लाएँगे। यदि हम लोग नहीं जाते हैं तो हम लोगों के बच्चे भी मर जाएँगे।
तब उनके पिता इस्राएल ने कहा, “यदि यह सचमुच सही है तो बिन्यामीन को अपने साथ ले जाओ। किन्तु प्रशासक के लिए कुछ भेंट ले जाओ। उन चीजों में से कुछ ले जाओ जो हम लोग अपने देश में इकट्ठा कर सके हैं। उसके लिए कुछ शहद, पिस्ते, बादाम, गोंद और लोबान ले जाओ।
मैं प्रार्थना करता हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम लोगों की उस समय सहायता करेगा जब तुम प्रशासक के सामने खड़े होओगे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि वह बिन्यामीन और शिमोन को भी सुरक्षित आने देगा। यदि नहीं तो मैं अपने पुत्र से हाथ धोकर फिर दुःखी होऊँगा।”
मिस्र में यूसुफ ने उनके साथ बिन्यामीन को देखा। यूसुफ ने अपने सेवक से कहा, “उन व्यक्तियों को मेरे घर लाओ। एक जानवर मारो और पकाओ। वे व्यक्ति आज दोपहर को मेरे साथ भोजन करेंगे।”
भाई डरे हुए थे जब वे यूसुफ के घर लाए गए। उन्होंने कहा, “हम लोग यहाँ उस धन के लिए लाए गए हैं जो पिछली बार हम लोगों की बोरियों में रख दिया गया था। वे हम लोगों को अपराधी सिद्ध करने लिए उनका उपयोग करेंगे। तब वे हम लोगों के गधों को चुरा लेंगे और हम लोगों को दास बनाएँगे।”
(21-22) घर लौटते समय हम लोगों ने अपनी बोरियाँ खोलीं और हर एक बोरी में अपना धन पाया। हम लोग नहीं जानते कि उनमें धन कैसे पहुँचा। किन्तु हम वह धन आपको लौटाने के लिए साथ लाए हैं और इस समय हम लोग जो अन्न खरीदना चाहते हैं उसके लिए अधिक धन लाए हैं।”
किन्तु सेवक ने उत्तर दिया, “डरो नहीं, मुझ पर विश्वास करो। तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने तुम लोगों के धन को तुम्हारी बोरियों में भेंट के रूप में रखा होगा। मुझे याद है कि तुम लोगों ने पिछली बार अन्न का मूल्य मुझे दे दिया था।” सेवक शिमोन को कारागार से बाहर लाया।
तब यूसुफ ने अपने भाई बिन्यामीन को देखा। (बिन्यामीन और यूसुफ की एक ही माँ थी) यूसुफ ने कहा, “क्या यह तुम लोगों का सबसे छोटा भाई है जिसके बारे में तुम ने बताया था?” तब यूसुफ ने बिन्यामीन से कहा, “परमेश्वर तुम पर कृपालु हो।”
तब यूसुफ कमरे से बाहर दौड़ गया। यूसुफ बहुत चाहता थी कि वह अपने भाईयों को दिखाए कि वह उनसे बहुत प्रेम करता है। वह रोने—रोने सा हो रहा था, किन्तु वह नहीं चाहता था कि उसके भाई उसे रोता देखें। इसलिए वह अपने कमरे में दौड़ता हुआ पहुँचा और वहीं रोया।
यूसुफ ने अकेले एक मेज पर भोजन किया। उसके भाईयों ने दूसरी मेज पर एक साथ भोजन किया। मिस्री लोगों ने अन्य मेज पर एक साथ खाया। उनका विश्वास था कि उनके लिए यह अनुचित है कि वे हिब्रू लोगों के साथ खाएँ।
यूसुफ के भाई उसके सामने की मेज पर बैठे थे। सभी भाई सबसे बड़े भाई से आरम्भ कर सबसे छोटे भाई तक क्रम में बैठे थे। सभी भाई एक दूसरे को, जी हो रहा था उस पर आश्चर्य करते हुए देखते जा रहे थे।
सेवक यूसुफ की मेज से उनको भोजन ले जाते थे। किन्तु औरों की तुलना में सेवकों ने बिन्यामीन को पाँच गुना अधिक दिया। यूसुफ के साथ वे सभी भाई तब तक खाते और दाखमधु पीते रहे जब तक वे नशे में चूर नहीं हो गया।