लोगों ने कहा, “हम लोगों को ईंटें बनाना और उन्हें आग में तपाना चाहिए, ताकि वे कठोर हो जाए।” इसलिए लोगों ने अपने घर बनाने के लिए पत्थरों के स्थान पर ईंटों का प्रयोग किया और लोगों ने गारे के स्थान पर राल का प्रयोग किया।
लोगों ने कहा, “हम अपने लिए एक नगर बनाएँ और हम एक बहुत ऊँची इमारत बनाएँगे जो आकाश को छुएगी। हम लोग प्रसिद्ध हो जाएँगे। आगर हम लोग ऐसा करेंगे तो पूरी धरती पर बिखरेंगे नहीं, हम लोग एक जगह पर एक साथ रहेंगे।”
यहोवा ने कहा, “ये सभी लोग एक ही भाषा बोलते हैं और मैं देखता हूँ कि वे इस काम को करने के लिए एकजुट हैं। यह तो, ये जो कुछ कर सकते हैं उसका केवल आरम्भ है। शीघ्र ही वे वह सब कुछ करने के योग्य हो जाएँगे जो ये करना चाहेंगे। सब कुछ करने के योग्य हो जाएँगे जो ये करना चाहेंगे।
यही वह जगह थी जहाँ यहोवा ने पूरे संसार की भाषा को गड़बड़ कर दिया था। इसलिए इस जगह का नाम बाबुल पड़ा। इस प्रकार यहोवा ने उस जगह से लोगों को पृथ्वी के सभी देशों में फैलाया।
अब्राम और नाहोर दोनों ने विवाह किया। अब्राम की पत्नी सारै थी। नाहोर दोनों ने विवाह किया। अब्राहम की पत्नी सारै थी। नाहोर की पत्नी मिल्का थी। मिल्का हारान की पुत्री थी। हारान मिल्का और यिस्का का बाप था।
तेरह ने अपने परिवार को साथ लिया और कसदियों के उर नगर को छोड़ दिया। उन्होंने कनान की यात्रा करने का इरादा किया। तेरह ने अपने पुत्र अब्राम, अपने पोते लूत (हारान का पुत्र), अपनी पुत्रवधू (अब्राम की पत्नी) सारै को साथ लिया। उन्होंने हारान तक यात्रा की और वहाँ ठहरना तय किया।