English Bible Languages

Indian Language Bible Word Collections

Bible Versions

English

Tamil

Hebrew

Greek

Malayalam

Hindi

Telugu

Kannada

Gujarati

Punjabi

Urdu

Bengali

Oriya

Marathi

Assamese

Books

Ezekiel Chapters

Ezekiel 22 Verses

1 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
2 “मनुष्य के पुत्र, क्या तुम न्याय करोगे क्या तुम हत्यारों के नगर (यरूशलेम) के साथ न्याय करोगे क्या तुम उससे उन सब भयंकर बातों के बारे में कहोगे जो उसने की हैं
3 तुम्हें कहना चाहिये, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: नगर हत्यारों से भरा है। अत: उसके लिये दण्ड का समय आएगा। उसने अपने लिये गन्दी देवमूर्तियों को बनाया और इन देवमूर्तियों ने उसे गन्दा बनाया!
4 “ ‘यरूशलेम के लोगों, तुमने बहुत लोगों को मार डाला। तुमने गन्दी देवमूर्तियाँ बनाई। तुम दोषी हो और तुम्हें दण्ड देने का समय आ गया है। तुम्हारा अन्त आ गया है। अन्य राष्ट्र तुम्हारा मजाक उड़ाएंगे। वे देश तुम पर हँसेंगे।
5 दूर और निकट के लोग तुम्हारा मजाक उड़ाएंगे। तुमने अपना नाम बदनाम किया है। तुम अट्टहास सुन सकते हो।
6 “ ‘ध्यान दो! यरूशलेम में हर एक शासक ने अपने को शक्तिशाली बनाया जिससे वह अन्य लोगों को मार सके।
7 यरूशलेम के लोग अपने माता—पिता का सम्मान नहीं करते। वे उस नगर में विदेशियों को सताते हैं। वे अनाथों और विधवाओं को उस स्थान पर ठगते हैं।
8 तुम लोग मेरी पवित्र चीजों से घृणा करते हो। तुम मेरे विश्राम के दिनों को ऐसे लेते हो मानों वे महत्वपूर्ण न हों।
9 रूशलेम के लोग अन्य लोगों के बारें में झूठ बोलते हैं। वे यह उन भोले लोगों को मार डालने के लिये करते हैं। लोग पर्वतों पर असत्य देवताओं की पूजा करने जाते हैं और तब वे यरूशलेम में उनके मैत्री—भोजन को खाने आते हैं। “ ‘यरूशलेम में लोग अनेक यौन—सम्बन्धी पाप करते हैं।
10 यरूशलेम में लोग अपने पिता की पत्नी के साथ व्यभिचार करते हैं। यरूशलेम में लोग मासिक धर्म के समय में भी नारियों से बलात्कार करते हैं।
11 कोई अपने पड़ोसी की पत्नी के विरुद्ध भी ऐसा भयंकर पाप करता है। कोई अपनी पुत्रवधू के साथ शारीरिक सम्बन्ध करता है और उसे अपवित्र करता है और कोई अपने पिता की पुत्री अर्थात अपनी बहन के साथ शारीरिक सम्बन्ध करता है।
12 यरूशलेम में, तुम लोग, लोगों को मार डालने के लिये धन लेते हो। तुम लोग ऋण देते हो और उस ऋण पर ब्याज लेते हो। तुम लोग थोड़े धन को पाने के लिये अपने पड़ोसी को ठगते हो और तुम लोग मुझे भूल गए हो।’ मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
13 “परमेश्वर ने कहा, ‘अब ध्यान दो! मैं अपनी भुजा को नीचे टिकाकर, तुम्हें रोक दूँगा! मैं तुम्हें लोगों को धोखा देने और मार डालने के लिये दण्ड दूँगा।
14 क्या तब भी तुम वीर बने रहोगे क्या तुम पर्याप्त बलवान रहोगे जब मैं तुम्हें दण्ड देने आऊँगा नहीं! मैं यहोवा हूँ। मैंने यह कह दिया है और मैं वह करुँगा जो मैंने करने को कहा है!
15 मैं तुम्हें राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। मैं तुम्हें बहुत से देशों में जाने को विवश करूँगा। मैं नगर की गन्दी चीजों को पूरी तरह नष्ट करूँगा।
16 किन्तु यरूशलेम तुम अपवित्र हो जाओगे और अन्य राष्ट्र इन घटनाओं को होता देखेंगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।’ ”
17 यहोवा का वचन मुझ तक आया। उसने कहा,
18 “मनुष्य के पुत्र, काँसा, लोहा, सीसा और टीन चाँदी की तुलना में बेकार हैं। कारीगर चाँदी को शुद्ध करने के लिये आग में डालते हैं। चाँदी गल जाती है और कारीगर इसे कचरे से अलग करता है। इस्राएल राष्ट्र उस बेकार कचरे की तरह हो गया है।
19 इसलिये यहोवा तथा स्वामी यह कहता है, ‘तुम सभी लोग बेकार कचरे की तरह हो गए हो। इसलिये मैं तुम्हें इस्राएल में इकट्ठा करूँगा।
20 कारीगर चाँदी, काँसा, लोहा, सीसा और टीन को आग में डालते हैं। वे आग को अधिक गर्म करने के लिये फूँकते हैं। तब धातुओं का गलना आरम्भ हो जाता है। इसी प्रकार मैं तुम्हें अपनी आग में डालूँगा और तुम्हें पिघलाऊँगा। वह आग मेरा गरम क्रोध है।
21 मैं तुम्हें उस आग में डालूँगा और मैं अपने क्रोध की आग को फूँके मारूँगा और तुम्हारा पिघलना आरम्भ हो जाएगा।
22 चाँदी आग में पिघलती है और कारीगर चाँदी को ढालते हैं तथा बचाते हैं। इसी प्रकार तुम नगर में पिघलोगे। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ और तुम समझोगे कि मैंने तुम्हारे विरुद्ध अपने क्रोध को उंड़ेला है।’ ”
23 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
24 “मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम से बातें करो। उससे कहो कि वह पवित्र नहीं है। मैं उस देश पर क्रोधित हूँ इसलिये उस देश ने अपनी वर्षा नहीं पाई है।
25 यरूशलेम में नबी बुरे कार्यक्रम बना रहे हैं। वे उस सिंह की तरह है जो उस समय गरजता है जब वह अपने पकड़े हुए जानवर को खाता है। उन नबियों ने बहुत से जीवन नष्ट किये हैं। उन्होंने अनेक कीमती चीजें ली हैं। उन्होंने यरूशलेम में अनेक स्त्रियों को विधवा बनाया।
26 “याजकों ने सचमुच मेरे उपदेशों को हानि पहुँचाई है। वे मेरी पवित्र चीजों को ठीक—ठीक नहीं बरतते अर्थात् वे यह प्रकट नहीं करते कि वे महत्वपूर्ण हैं। वे पवित्र चीज़ों को अपवित्र चीज़ों की तरह बरतते हैं। वे शुद्ध चीज़ो को अशुद्ध चीज़ों की तरह बरतते हैं। वे लोगों को इनके विषय में शिक्षा नहीं देते। वे मेरे विशेष विश्राम के दिनों का सम्मान करने से इन्कार करते हैं। वे मुझे इस तरह लेते हैं मानों मैं महत्वपूर्ण नहीं हूँ।
27 “यरूशलेम में प्रमुख उन भेड़िये के समान हैं जो अपने पकड़े जानवर को खा रहा है। वे प्रमुख केवल सम्पन्न बनने के लिये आक्रमण करते हैं और लोगों को मार डालते हैं।
28 “नबी, लोगों को चेतावनी नहीं देते, वे सत्य को ढक देते हैं। वे उन कारीगरों के समान हैं जो दीवार को ठीक—ठीक दृढ़ नहीं बनाते वे केवल छेदों पर लेप कर देते हैं। उनका ध्यान केवल झूठ पर होता है। वे अपने जादू का उपयोग भविष्य जानने के लिये करते हैं, किन्तु वे केवल झूठ बोलते हैं। वे कहते हैं, ‘मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। किन्तु वे केवल झूठ बोल रहे हैं — यहोवा ने उनसे बातें नहीं की!’
29 “सामान्य जनता एक दूसरे का लाभ उठाते हैं। वे एक दूसरे को धोखा देते और चोरी करते हैं। वे गरीब और असहाय व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं। वे विदेशियों को भी धोखा देते थे, मानों उनके विरुद्ध कोई नियम न हो!
30 “मैंने लोगों से कहा कि तुम लोग अपना जीवन बदलो और अपने देशों की रक्षा करो। मैंने लोगों को दीवारों को दृढ़ करने के लिये कहा। मैं चाहता था कि वे दीवारों के छेदों पर खड़े रहें और अपने नगर की रक्षा करें। किन्तु कोई व्यक्ति सहायता के लिये नहीं आया!
31 अत: मैं अपना क्रोध प्रकट करुँगा, मैंउन्हें पूरी तरह नष्ट करूँगा! मैं उन्हें उन बुरे कामों के लिये दण्डित करुँगा जिन्हें उन्होंने किये हैं। यह सब उनका दोष है!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
×

Alert

×