यहोवा ने मूसा से कहा, “पवित्त्र तम्बू दस कनातों से बनाओ। इन कनातों को अच्छे रेशम तथा नीले, लाल और बैंगनी कपड़ों से बनाओ। किसी कुशल कारीगर को चाहिए कि वह करूबों को पंख सहित कनातों पर काढ़े।
एक भाग में पाँच कनातों को एक साथ सीओ तब बाकी छः कनातों को दूसरे भाग में एक साथ सीओ। छठी कनात का उपयोग तम्बू के सामने के पर्दे के लिए करो। इसे इस प्रकार लपेटो कि यह द्वार की तरह खुले।
हर तख़्ता एक जैसा होना चाहिए। हर एक तख़्ते के तले में [††तले में धातु के आधार पर बने छेटों में ये खूंदियाँ बैठाई जाएंगी जिससे तख़्ते कनातों के लिए खड़े ढाँचे बन सकें।] उन्हें जोड़ने के लिए साथ—साथ दो खूंटियाँ होनी चाहिए।
कोने के दोनों तख़्ते एक साथ जोड़ देने चाहिए। तले में दोनों तख़्तों की खूँटियाँ चाँदी के एक ही आधार में लगेंगी और ऊपर धातु का एक छल्ला दोनों तख़्तों को एक साथ रखेगा।
पाँचों कुण्डियों के बीच की कुण्डी तख़्तों के मध्य में होनी चाहिए। यह कुण्डी तख़्तों के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचनी चाहिए। [‡‡यह … चाहिए या मध्यवर्ती कुण्डी तख्तों से होती हुई एक सिरे से दूसरे सिरे तक होनी चाहिए।]
“सन के अच्छे रेशों का उपयोग करो और तम्बू के भीतरी भाग के लिए एक विशेष पर्दा बनाओ। इस पर्दे को नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े से बनाओ। करूब के प्रतिरूप कपड़े में काढ़ो।
बबूल की लकड़ी के चार खम्भे बनाओ। चारों खम्भों पर सोने की बनी खूँटियाँ लगाओ। खम्भों को सोने से मढ़ दो। खम्भों के नीचे चाँदी के चार आधार रखो। तब सोने की खूँटियों में पर्दा लटकाओ।
“पवित्र स्थान में पर्दे के दूसरी ओर विशेष मेज़ को रखो। मेज़ तम्बू के उत्तर में होनी चाहिए। तब दीपाधार को तम्बू के दक्षिण में रखो। दीपाधार मेज़ के ठीक सामने होगा।
“तब तम्बू के मुख्य द्वार के लिए एक पर्दा बनाओ। इस पर्दे को बनाने के लिए नीले बैंगनी, लाल कपड़े तथा सन के उत्तम रेशों का उपयोग करो और कपड़े में चित्रों की कढ़ाई करो।