English Bible Languages

Indian Language Bible Word Collections

Bible Versions

English

Tamil

Hebrew

Greek

Malayalam

Hindi

Telugu

Kannada

Gujarati

Punjabi

Urdu

Bengali

Oriya

Marathi

Assamese

Books

Exodus Chapters

Exodus 15 Verses

1 तब मूसा और इस्राएल के लोग यहोवा के लिए यह गीत गाने लगे: “मैं यहोवा के लिए गाऊँगा क्योंकि उसने महान काम किये है। उसने घोड़ों और सवारों को समुद्र में फेंका है।
2 यहोवा ही मेरी शक्ति है। वह हमें बचाता है और मैं गाता हूँ गीत उसकी प्रशंसा के। [*यहोवा … प्रशंसा के शाब्दिक, “यहोवा मेरी शक्ति और स्तुति और वह मेरी मुक्ति बनता है।”] मेरा परमेश्वर यहोवा है और मैं उसकी स्तुति करता हूँ। मेरे पूर्वजों का परमेश्वर यहोवा है और मैं उसका आदर करता हूँ।
3 यहोवा महान योद्धा है। उसका नाम यहोवा है।
4 उसने फ़िरौन के रथ और सैनिकों को समुद्र में फेंक दिया। फ़िरौन के उत्तम अधिकारी लाल सागर में डूब गए।
5 गहरे पानी ने उन्हें ढका। वे चट्टानों की तरह गहरे पानी में डूबे।
6 “तेरी दायीं भुजा अद्भुत शक्तिशाली है। यहोवा, तेरी दायीं भुजा ने शत्रु को चकनाचूर कर दिया।
7 तूने अपनी महामहिम में नष्ट किया उन्हें जो व्यक्ति तेरे विरुद्ध खड़े हुए। तेरे क्रोध ने उन्हें उस प्रकार नष्ट किया जैसे आग तिनके को जलाती है।
8 तूने जिस तेज आँधी को चलाया, उसने जल को ऊँचा उठाया। वह तेज़ बहता जल ठोस दीवार बना। समुद्र ठोस बन गया अपने गहरे से गहरे भाग तक।
9 “शत्रु ने कहा, ‘मैं उनका पीछा करूँगा और उनको पकड़ूँगा। मैं उनका सारा धन लूँगा। मैं अपनी तलवार चलाऊँगा और उनसे हर चीज़ लूँगा। मैं अपने हाथों का उपयोग करूँगा और अपने लिए सब कुछ लूँगा।’
10 किन्तु तू उन पर टूट पड़ा और उन्हें समुद्र से ढक दिया तूने वे सीसे की तरह डूबे गहरे समुद्र में।
11 “क्या कोई देवता यहोवा के समान है? नहीं! तेरे समान कोई देवता नहीं, तू है अद्भुत अपनी पवित्रता में! तुझमें है विस्मयजनक शक्ति तू अद्भुत चमत्कार करता है!
12 तू अपना दाँया हाथ उठा कर संसार को नष्ट कर सकता था!
13 परन्तु तू कृपा कर उन लोगों को ले चला जिन्हें तूने बचाया है। तू अपनी शक्ति से इन लोगों को अपने पवित्र और सुहावने देश को ले जाता है।
14 “अन्य राष्ट्र इस कथा को सुनेंगे और वे भयभीत होंगे। पलिश्ती लोग भय से काँपेंगे।
15 तब एदोम के मुखिया भय से काँपेंगे मोआब के शक्तिशाली नेता भय से काँपेंगे, कनान के व्यक्ति अपना साहस खो देंगे।
16 वे लोग आतंक और भय से आक्रान्त होंगे जब वे तेरी शक्ति देखेंगे। वे चट्टान के समान शान्त रहेंगे जब तक तुम्हारे लोग गुज़रेंगे जब तक तेरे द्वारा लाए गए लोग गुज़रेंगे।
17 यहोवा अपने लोगों को स्वयं ले जाएगा अपने पर्वत पर उस स्थान तक जिसे तूने अपने सिंहासन के लिए बनाया है। हे स्वामी, तू अपना मन्दिर अपने हाथों बनायेगा।
18 “यहोवा सदा सर्वदा शासन करता रहेगा।”
19 हाँ, ये सचमुच हुआ! फ़िरौन के घोड़े, सवार और रथ समुद्र में चले गए और यहोवा ने उन्हें समुद्र के पानी से ढक दिया। किन्तु इस्राएल के लोग सूखी ज़मीन पर चलकर समुद्र के पार चले गए।
20 तब हारून की बहन नबिया मरियम ने एक डफली ली। मरियम और स्त्रियों ने नाचना, गाना आरम्भ किया। मरियम की टेक थी,
21 “यहोवा के लिए गाओ क्योंकि उसने महान काम किए हैं। फेंका उसने घोड़े को और उसके सवार को सागर के बीच में।”
22 मूसा इस्राएल के लोगों को लाल सागर से दूर ले जाता रहा, लोग शूर मरुभूमि में पहुँचे। वे तीन दिन तक मरुभूमि में यात्रा करते रहे। लोग तनिक भी पानी न पा सके।
23 तीन दिन के बाद लोगों ने मारा की यात्रा की। मारा में पानी था, किन्तु पानी इतना कड़वा था कि लोग पी नहीं सकते थे। (यही कारण था कि इस स्थान का नाम मारा पड़ा।)
24 लोगों ने मूसा से शिकायत शुरु की। लोगों ने कहा, “अब हम लोग क्या पीएं?”
25 मूसा ने यहोवा को पुकारा। इसलिए यहोवा ने उसे एक पेड़ दिखाया। मूसा ने पेड़ को पानी में डाला। जब उसने ऐसा किया, पानी अच्छा पीने योग्य हो गया। उस स्थान पर यहोवा ने लोगों की परीक्षा ली और उन्हें एक नियम दिया। यहोवा ने लोगों के विश्वास की जाँच की।
26 यहोवा ने कहा, “तुम लोगों को अपने परमेश्वर यहोवा का आदेश अवश्य मानना चाहिए। तुम लोगों को वह करना चाहिए जिसे वह ठीक कहता है। यदि तुम लोग यहोवा के आदेशों और नियमों का पालन करोगे तो तुम लोग मिस्रियों की तरह बीमार नहीं होगे। मैं तुम्हारा यहोवा तुम लोगों को कोई ऐसी बीमारी नहीं दूँगा जैसी मैंने मिस्रियों को दी। मैं यहोवा हूँ। मैं ही वह हूँ जो तुम्हें स्वस्थ बनाता है।”
27 तब लोगों ने एलीम तक की यात्रा की। एलीम में पानी के बारह सोते थे। और वहाँ सत्तर खजूर के पेड़ थे। इसलिए लोगों ने वहाँ पानी के निकट डेरा डाला।
×

Alert

×