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Ephesians 3:5
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Ephesians Chapters
Ephesians 3 Verses
1
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इसीलिए मैं, पौलुस तुम ग़ैर यहूदियों के लिये मसीह यीशु के हेतु बन्दी बना हूँ। |
2
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तुम्हारे कल्याण के लिए परमेश्वर ने अनुग्रह के साथ जो काम मुझे सौंपा है, उसके बारे में तुमने अवश्य ही सुना होगा। |
3
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कि वह रहस्यमयी योजना दिव्यदर्शन द्वारा मुझे जनाई गयी थी, जैसा कि मैं तुम्हें संक्षेप में लिख ही चुका हूँ। |
4
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और यदि तुम उसे पढ़ोगे तो मसीह विषयक रहस्यपूर्ण सत्य में मेरी अन्तर्दष्टि की समझ तुम्हें हो जायेगी। |
5
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यह रहस्य पिछली पीढ़ी के लोगों को वैसे नहीं जनाया गया था जैसे अब उसके अपने पवित्र प्रेरितों और नबियों को आत्मा के द्वारा जनाया जा चुका है। |
6
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यह रहस्य है कि यहूदियों के साथ ग़ैर यहूदी भी सह उत्तराधिकारी हैं, एक ही देह के अंग हैं और मसीह यीशु में जो वचन हमें दिया गया है, उसमें सहभागी हैं। |
7
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सुसमाचार के कारण मैं उस सुसमाचार का प्रचार करने वाला एक सेवक बन गया, जो उसकी शक्ति के अनुसार परमेश्वर के अनुग्रह के वरदान स्वरूप मुझे दिया गया था। |
8
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यद्यपि सभी संत जनों में मैं छोटे से भी छोटा हूँ किन्तु मसीह के अनन्त धन रूपी सुसमाचार का ग़ैर यहूदियों में प्रचार करने का यह अनुग्रह मुझे दिया गया |
9
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कि मैं सभी लोगों के लिए उस रहस्यपूर्ण योजना को स्पष्ट करूँ जो सब कुछ के सिरजनहार परमेश्वर में सृष्टि के प्रारम्भ से ही छिपी हुई थी। |
10
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ताकि वह स्वर्गिक क्षेत्र की शक्तियों और प्रशासकों को अब उस परमेश्वर के बहुविध ज्ञान को कलीसिया के द्वारा प्रकट कर सके। |
11
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यह उस सनातन प्रयोजन के अनुसार सम्पन्न हुआ जो उसने हमारे प्रभु मसीह यीशु में पूरा किया था। |
12
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मसीह में विश्वास के कारण हम परमेश्वर तक भरोसे और निर्भीकता के साथ पहुँच रखते है। |
13
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इसलिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हारे लिए मैं जो यातनाएँ भोग रहा हूँ, उन से आशा मत छोड़ बैठना क्योंकि इस यातना में ही तो तुम्हारी महिमा है। |
14
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इसलिए मैं परमपिता के आगे झुकता हूँ। |
15
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उसी से स्वर्ग में या धरती पर के सभी वंश अपने अपने नाम ग्रहण करते हैं। |
16
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मैं प्रार्थना करता हूँ कि वह महिमा के अपने धन के अनुसार अपनी आत्मा के द्वारा तुम्हारे भीतरी व्यक्तित्व को शक्तिपूर्वक सुदृढ़ करे। |
17
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और विश्वास के द्वारा तुम्हारे हृदयों में मसीह का निवास हो। तुम्हारी जड़ें और नींव प्रेम पर टिकें। |
18
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जिससे तुम्हें अन्य सभी संत जनों के साथ यह समझने की शक्ति मिल जाये कि मसीह का प्रेम कितना व्यापक, विस्तृत, विशाल और गम्भीर है। |
19
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और तुम मसीह के उस प्रेम को जान लो जो सभी प्रकार के ज्ञानों से परे है ताकि तुम परमेश्वर की सभी परिपूर्णताओं से भर जाओ। |
20
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अब उस परमेश्वर के लिये जो अपनी उस शक्ति से जो हममें काम कर रही है, जितना हम माँग सकते हैं या जहाँ तक हम सोच सकते हैं, उससे भी कहीं अधिक कर सकता है, |
21
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उसकी कलीसिया में और मसीह यीशु में अनन्त पीढ़ियों तक सदा सदा के लिये महिमा होती रहे। आमीन। |