एला का पुत्र होशे ने शोमरोन में इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। यह यहूदा के राजा आहाज के राज्यकाल के बारहवें वर्ष में हुआ। होशे ने नौ वर्ष तक शासन किया।
अश्शूर का राजा शल्मनेसेर होशे के विरुद्ध युद्ध करने आया। शल्मनेसेर ने होशे को हराया और होशे शल्मनेसेर का सेवक बन गया। होशे शल्मनेसेर को अधीनस्थ कर [*अधीनस्थ कर वह धन जो विदेशी राजा या राष्ट्र को रक्षित रहने के लिये दिया जाता है।] देने लगा।
किन्तु बाद में अश्शूर के राजा को पता चला कि होशे ने उसके विरुद्ध षडयन्त्र रचा है। होशे ने मिस्र के राजा के पास सहायता माँगने के लिये राजदूत भेजे। मिस्र के राजा का नाम “सो” था। उस वर्ष होशे ने अश्शूर के राजा को अधीनस्थ कर उसी प्रकार नहीं भेजा जैसे वह हर वर्ष भेजता था। अतः अश्शूर के राजा ने होशे को बन्दी बनाया और उसे जेल में डाल दिया।
अश्शूर के राजा ने, इस्राएल पर होशे के राज्यकाल के नवें वर्ष में, शोमरोन पर अधिकार जमाया। अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बन्दी के रूप में अश्शूर को ले गया। उसने उन्हें हलह, हबोर नदी के तट पर गोजान और मदियों के नगरों में बसाया।
ये घटनायें घटी क्योंकि इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किये थे। यहोवा इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। यहोवा ने उन्हें राजा फ़िरौन के चंगुल से बाहर निकाला। किन्तु इस्राएलियों ने अन्य देवताओं को पूजना आरम्भ किया था।
इस्राएली वही सब करने लगे थे जो जो दूसरे राष्ट्र करते थे। यहोवा ने उन लोगों को अपना देश छोड़ने को विवश किया था जब इस्राएली आए थे। इस्राएलियों ने भी राजाओं से शासित होना पसन्द किया, परमेश्वर से शासित होना नहीं।
इस्राएलियों ने गुप्त रूप से अपने यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध काम किया। जिसे उन्हें नहीं करना चाहिये था। इस्राएलियों ने अपने सबसे छोटे नगर से लेकर सबसे बड़े नगर तक, अपने सभी नगरों में उच्च स्थान बनाये।
इस्राएलियों ने पूजा के उन सभी स्थानों पर सुगन्धि जलाई। उन्होंने ये सभी कार्य उन राष्ट्रों की तरह किया जिन्हें यहोवा ने उनके सामने देश छोड़ने को विवश किया था। इस्राएलियों ने वे काम किये जिन्होंने यहोवा को क्रोधित किया।
यहोवा ने हर एक नबी और हर एक दृष्टा का उपयोग इस्राएल और यहूदा को चेतावनी देने के लिये किया। यहोवा ने कहा, “तुम बुरे कामों से दूर हटो! मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो। उन सभी नियमों का पालन करो जिन्हें मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिये हैं। मैंने अपने सेवक नबियों का उपयोग यह नियम तुम्हें देने के लिये किया।”
लोगों ने, अपने पूर्वजों द्वारा यहोवा के साथ की गई वाचा और यहोवा के नियमों को मानने से इन्कार किया। उन्होंने यहोवा की चेतावनियों को सुनने से इन्कार किया। उन्होंने निकम्मे देवमूर्तियों का अनुसरण किया और स्वयं निकम्में बन गये। उन्होंने अपने चारों ओर के राष्ट्रों का अनुसरण किया। ये राष्ट्र वह करते थे जिसे न करने की चेतावनी इस्राएल के लोगों को यहोवा ने दी थी।
लोगों ने यहोवा, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करना बन्द कर दिया। उन्होंने बछड़ों की दो सोने की मूर्तियाँ बनाई। उन्होंने अशेरा स्तम्भ बनाये। उन्होंने आकाश के सभी नक्षत्रों की पूजा की और बाल की सेवा की।
उन्होंने अपने पुत्र—पुत्रीयों की बलि आग में दी। उन्होंने जादू और प्रेत विद्या का उपयोग भविष्य को जानने के लिये किया। उन्होंने वह करने के लिये अपने को बेचा, जिसे यहोवा ने बताया था कि वह उसे क्रोधित करने वाली बुराई है।
यहोवा ने इस्राएल के सभी लोगों को अस्वीकार किया। उसने उन पर बहुत विपत्तियाँ ढाई। उसने लोगों को उन्हें नष्ट करने दिया और अन्त में उसने उन्हें उठा फेंका और अपनी दृष्टि से ओझल कर दिया।
यहोवा ने दाऊद के परिवार से इस्राएल को अलग कर डाला और इस्राएलियों ने नबात के पुत्र यारोबाम को अपना राजा बनाया। यारोबाम ने इस्राएलियों को यहोवा का अनुसरण करने से दूर कर दिया। यारोबाम ने इस्राएलियों से एक भीषण पाप कराया।
जब तक यहोवा ने इस्राएलियों को अपनी दृष्टि से दूर नहीं हटाया और यहोवा ने कहा कि यह होगा। लोगों को बताने के लिए कि यह होगा, उसने अपने नबियों को भेजा। इसलिए इस्राएली अपने देश से बाहर अश्शूर पहुँचाये गए और वे आज तक वहीं हैं।
अश्शूर का राजा इस्राएलियों को शोमरोन से ले गया। अश्शूर का राजा बाबेल, कूता, अब्वाहमात और सपवैम से लोगों को लाया। उसने उन लोगों को शोमरोन में बसा दिया। उन लोगों ने शोमरोन पर अधिकार किया और उसके चारों ओर के नगरों में रहने लगे।
जब ये लोग शोमरोन में रहने लगे तो इन्होंने यहोवा का सम्मान नहीं किया। इसलिये यहोवा ने सिंहों को इन पर आक्रमण के लिये भेजा। इन सिंहों ने उनके कुछ लोगों को मार डाला।
कुछ लोगों ने यह बात अश्शूर के राजा से कही। “वे लोग जिन्हें आप ले गए और शोमरोन के नगरों में बसाया, उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते। इसलिये उस देवता ने उन लोगों पर आक्रमण करने के लिये सिंह भेजे। सिहों ने उन लोगों को मार डाला क्योंकि वे लोग उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते थे।”
इसलिए अश्शूर के राजा ने यह आदेश दियाः “तुमने कुछ याजकों को शोमरोन से लिया था। मैंने जिन याजकों को बन्दी बनाया था उनमें से एक को शोमरोन को वापस भेज दो। उस याजक को जाने और वहाँ रहने दो। तब वह याजक लोगों को उस देश के देवता के नियम सिखा सकता है।”
इसलिये अश्शूरियों द्वारा शोमरोन से लाये हुए याजकों में से एक बेतेल में रहने आया। उस याजक ने लोगों को सिखाया कि उन्हें यहोवा का सम्मान कैसे करना चाहिये।
किन्तु उन सभी राष्ट्रों ने निजी देवता बनाए और उन्हें शोमरोन के लोगों द्वारा बनाए गए उच्च स्थानों पर पूजास्थलों में रखा। उन राष्ट्रों ने यही किया, जहाँ कहीं भी वे बसे।
अव्वी लोगों ने असत्य देवात निभज और तर्त्ताक बनाए और सपवमी लोगों ने झूठे देवताओं अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक के सम्मान के लिये अपने बच्चों को आग में जलाया।
किन्तु उन लोगों ने यहोवा की भी उपासना की। उन्होंने अपने लोगों में से उच्च स्थानों के लिये याजक चुने। ये याजक उन पूजा के स्थानों पर लोगों के लिये बलि चढ़ाते थे।
वे यहोवा का सम्मान करते थे, किन्तु वे अपने देवताओं की भी सेवा करते थे। वे लोग अपने देवता की वैसी ही सेवा करते थे जैसी वे उन देशों में करते थे जहाँ से वे लाए गए थे।
आज भी वे लोग वैसे ही रहते हैं जैसे वे भूतकाल में रहते थे। वे यहोवा का सम्मान नहीं करते थे। वे इस्राएलियों के आदेशों और नियमों का पालन नहीं करते थे। वे उन नियमों या आदेशों का पालन नहीं करते थे जिन्हें यहोवा ने याकूब (इस्राएल) की सन्तानों को दिया था।
यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ एक वाचा की थी। यहोवा ने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। तुम्हें उनकी पूजा या सेवा नहीं करनी चाहिये या उन्हें बलि भेंट नहीं करनी चाहिये।
किन्तु तुम्हें यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यहोवा वही परमेश्वर है जो तुम्हें मिस्र से बाहर ले आया। यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग तुम्हें बचाने के लिये किया। तुम्हें यहोवा की ही उपासना करनी चाहिये और उसी को बलि भेंट करनी चाहिये।
तुम्हें उसके उन नियमों, विधियों, उपदेशों और आदेशों का पालन करना चाहिये जिन्हें उसने तुम्हारे लिये लिखा। तुम्हें इनका पालन सदैव करना चाहिये। तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये।
इसलिये अब तो वे अन्य राष्ट्र यहोवा का सम्मान करते हैं, किन्तु वे अपनी देवमूर्तियों की भी सेवा करते हैं। उनके पुत्र—पौत्र वही करते हैं, जो उनके पूर्वज करते थे। वे आज तक वही काम करते हैं।