योशिय्याह ने उन लेवीवंशियों से बातें की जो इस्राएल के लोगों को उपदेश देते थे तथा जो यहोवा की सेवा के लिये पवित्र बनाए गए थे। उसने उन लेवीवंशियों से कहा: “पवित्र सन्दूक को उस मन्दिर में रखो जिसे सुलैमान ने बनाया। सुलैमान दाऊद का पुत्र था। दाऊद इस्राएल का राजा था। पवित्र सन्दूक को अपने कंधों पर फिर एक स्थान से दूसरे स्थान पर मत ले जाओ। अब अपने यहोवा परमेश्वर की सेवा करो। परमेश्वर के लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों की सेवा करो।
अपने को, अपने परिवार समूहों के क्रम में, मन्दिर की सेवा के लिये तैयार करो। उन कार्यों को करो जिन्हें राजा दाऊद और उसके पुत्र राजा सुलैमान ने तुम्हें करने के लिये दिया था।
फसह पर्व के मेमनों को मारो और यहोवा के प्रति अपने को पवित्र करो। मेमनों को अपने भाई इस्राएलियों के लिये तैयार करो। सब कुछ वैसे ही करो जैसा करने का आदेश यहोवा ने दिया है। यहोवा ने उन सभी आदेशों को हमें मूसा द्वारा दिया था।”
योशिय्याह ने इस्राएल के लोगों को तीस हज़ार भेड़—बकरियाँ फसह पर्व की बलि के लिये दीं। उसने लोगों को तीन हजार पशु भी दिये। ये सभी जानवर राजा योशिय्याह के अपने जानवरों में से थे।
योशिय्याह के अधिकारियों ने भी, स्वेच्छा से लोगों को याजकों और लेवीवंशियों को फसह पर्व में उपयोग करने के लिये जानवर और चीज़ें दीं। प्रमुख याजक हिल्किय्याह, जकर्याह और यहीएल मन्दिर के उत्तरदायी अधिकारी थे। उन्होंने यजाकों को दो हजार छ: सौ मेमने और बकरे और तीन सौ बैल फसह पर्व बलि के लिये दिये।
कोनन्याह ने भी शमायाह, नतनेल, तथा उसके भाईयों के साथ और हसब्याह, यीएल तथा योजाबाद ने पाँच सौ भेड़ें—बकरियाँ, पाँच सौ बैल फसह पर्व बलि के लिये लेवीवंशियों को दिये। वे लोग लेवीवंशियों के प्रमुख थे।
तब उन्होंने जानवरों को विभिन्न परिवार समूहों की होमबलि में उपयोग के लिये दिया। यह इसलिये किया गया कि होमबलि उस प्रकार दी जा सके जिस प्रकार मूसा के नियमों ने सिखाया था।
लेवीवंशियों ने फसह पर्व फसह पर्व की बलियों को आग पर इस प्रकार भूना जैसा उन्हें आदेश दिया गया था और उन्होंने पवित्र भेंटों को हंडिया. देग और कढ़ाहियों में पकाया। तब उन्होंने लोगों को शीघ्रता से माँस दिया।
जब यह पूरा हुआ तब लेवीवंशियों को अपने लिये औऱ उन याजकों के लिये माँस मिला जो हारून के वंशज थे। उन याजकों को काम करते हुए अंधेरा होने तक काम में बहुत अधिक लगाए रखा गया। उन्होंने होमबलि औक बलिदानों की चर्बी को जलाते हुए कड़ा परिश्रम किया।
आसाप के परिवार के लेवीवंशी गायक उन स्थानों पर पहुँचे जिन्हें राजा दाऊद ने उनके खड़े होने के लिये चुना था। वे: आसाप, हेमान और राजा का नबी यदूतून थे। हर एक द्वार पर द्वारपाल अपना स्थान नहीं छोड़ सकते थे क्योंकि उनके लेवीवंशी भाईयों ने हर एक चीज़ उनके फसह पर्व के लिये तैयार कर दी थी।
इस प्रकार उस दिन सब कुछ यहोवा की उपासना के लिये वैसे ही किया गया था जैसा राजा योशिय्याह ने आदेश दिया। फसह पर्व का त्यौहार मनाया गया और होमबलि यहोवा की वेदी पर चढ़ाई गई।
शमूएल नबी जब जीवित था तब से फसह पर्व इस प्रकार नहीं मनाया गया था। इस्राएल के किसी राजा ने कभी इस प्रकार फसह पर्व नहीं मनाया था। राजा योशिय्याह, याजक, लेवीवंशी और इस्राएल औऱ यहूदा के लोगों ने, यरूशलेम में सभी लोगों के साथ, फसह पर्व को बहुत ही विशेष रुप में मनाया।
योशिय्याह जब मन्दिर के लिये उन अच्छे कामों को कर चुका, उस समय राजा नको परात नदी पर स्थित कर्कमीश नगर के विरुद्ध युद्ध करने के लिये सेना लेकर आया। नको मिस्र का राजा था। राजा योशिय्याह नको के विरुद्ध लड़ने बाहर निकला।
किन्तु नको ने योशिय्याह के पास दूत भेजे। उन्होंने कहा, “राजा योशिय्याह, यह युद्ध तुम्हारे लिये समस्या नहीं है। मैं तुम्हारे विरुद्ध लड़ने नहीं आया हूँ। मैं अपने शत्रुओं से लड़ने आया हूँ। परमेश्वर ने मुझे शीघ्रता करने को कहा है। परमेश्वर मेरी ओर है अत: मुझे परेशान न करो। यदि तुम हमारे विरुद्ध लड़ोगे, परमेश्वर तुम्हें नष्ट कर देगा!”
किन्तु योशिय्याह हटा नहीं। उसने नको से युद्ध करने का निश्चय किया, इसलिये उसने अपना वेश बदला औऱ युद्ध करने गया। योशिय्याह ने उसे सुनने से इन्कार कर दिया जो नको ने परमेश्वर के आदेश के बारे में कहा। योशिय्याह मगिद्दो के मैदान में युद्ध करने गया।
अत: सेवकों ने योशिय्याह को रथ से बाहर निकाला, औऱ उसे दूसरे रथ में बैठाया जिसे वह अपने साथ युद्ध में लाया था। तब वे योशिय्याह को यरूशलेम ले गए। राजा योशिय्याह यरूशलेम में मरा। योशिय्याह को वहाँ दफनाया गया जहाँ उसके पूर्वज दफनाये गए थे। यहूदा और यरूशलेम के सभी लोग योशिय्याह के मरने पर बहुत दु:खी थे।
यिर्मयाह ने योशिय्याह के लिये कुछ बहुत अधिक करुण गीत [*योशिय्याह … करूण गीत दूसरा शब्द यिर्मयाह के शोक–गीत है। देखें यिर्म. 22:10] लिखे। आज भी सभी स्त्री—पुरुष गायक उन “करुण गीतों” को गाते हैं। यह ऐसा हुआ जिसे इस्राएल के लोग सदा करते रहे अर्थात योशिय्याह के करुण गीत गाते रहे। वे गीत करुण गीतों के संग्रह में लिखे हैं।
(26-27) अन्य जो कुछ योशिय्याह ने अपने राज्यकाल में, शासन के आरम्भ से अन्त तक किया, वह यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा गया है। वह पुस्तक यहोवा के प्रति उसकी भक्ति और उसने यहोवा के नियमों का पालन कैसे किया, बताती है।