अजर्याह आसा से मिलने गया। अजर्याह ने कहा, “आसा तथा यहूदा और बिन्यामीन के सभी लोगों मेरी सुनो! यहोवा तुम्हारे साथ तब है जब तुम उसके साथ हो। यदि तुम यहोवा को खोजोगे तो तुम उसे पाओगे। किन्तु यदि तुम उसे छोड़ोगे तो वह तुम्हें छोड़ देगा।
आसा ने जब इन बातों और ओदेद नबी के सन्देश को सुना तो वह बहुत उत्साहित हुआ। तब उसने सारे यहूदा और बिन्यामीन देश से घृणित मूर्तियों को हटा दिया और उसने एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में अपने अधिकार में लाए गए नगरों में मूर्तियों को हटाया और उसने यहोवा की उस वेदी की मरम्मत की जो यहोवा के मन्दिर के द्वार मण्डप के सामने थी।
तब आसा ने यहूदा और बिन्यामीन के सभी लोगों को इकट्ठा किया। उसने एप्रैम, मनश्शे और शिमोन परिवारों को भी इकट्ठा किया जो इस्राएल देश से यहूदा देश में रहने केलिये आ गए थे। उनकी बहुत बड़ी संख्या यहूदा में आई क्योंकि उन्होंने देखा कि आसा का यहोवा परमेश्वर, आसा के साथ है।
उस समय उन्होंने यहोवा को सात सौ बैलों और सात हज़ार भेड़ों और बकरों की बलि दी। आसा की सेना ने उन जानवरों और अन्य बहुमूल्य चीज़ों को अपने शत्रुओं से लिया था।
कोई व्यक्ति जो यहोवा परमेश्वर की सेवा से इन्कार करता था, मार दिया जाता था। इस बात का कोई महत्व नहीं था कि वह व्यक्ति महत्त्वपूर्ण या साधारण है अथवा पुरुष या स्त्री है।
यहूदा से सभी लोग प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने पूरे हृदय से शपथ ली थी। उन्होंने पूरे हृदय से यहोवा का अनुसरण किया तथा येहोवा की खोज की और उसे पाया। इसलिये यहोवा ने उनके पूरे देश में शान्ति दी।
राजा आसा ने अपनी माँ माका को राजमाता के पद से हटा दिया। आसा ने यह इसलिये किया क्योंकि माका ने एक भंयकर अशेरा—स्तम्भ बनाया था। आसा ने इस स्तम्भ को काट दिया और इसे छोटे—छोटे टुकड़ों में ध्वस्त कर दिया। तब उसने उन छोटे टुकड़ों को किद्रोन घाटी में जला दिया।